पसमान्दा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक सह पीएमडीआरएफ के निदेशक प्रो. फिरोज मंसूरी ने कहा की प्रशांत किशोर ने बिहार के समाज को पांच वर्ग में बांट कर दुर्लभ व्याख्या की है। उन्होंने कहा है दलित, ओबीसी, ईबीसी, सामान्य और मुसलमान की वर्ग व्याख्या साम्प्रदायिक राजनीति को ना सिर्फ सींचने वाली है बल्कि असंवैधानिक भी है। यह व्याख्या गांधी, आम्बेडकर, लोहिया, कर्पूरी की विचारधारा से बिल्कुल विपरीत है। बिहार में संवैधानिक वर्ग श्रेणी निम्न है एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी, सामान्य एवं ईडब्ल्यूएस है। इसमें मुसलमान कहीं वर्ग नहीं है। फिर मुसलमान को वर्ग बताना प्रशान्त किशोर की मंशा से मेल नहीं खाता है। यह भी 80 और 20 वाला ही फार्मूला है जो एक लोकतांत्रिक राज्य के लिए घातक है।
प्रो. फिरोज मंसूरी ने कहा की प्रशान्त किशोर खुद कहते हैं बिहार के 65 विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम की संख्या 50 हजार से अधिक है, फिर उनको 45 टिकट क्यों, 65 क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि जनसुराज का संविधान तैयार हो रहा है। यह संविधान किस संविधान के आधार पर तैयार हो रहा है। इनके निर्माता निर्देशक मंडल में जाति गणना के बाद के आंकड़ों के अनुरुप कितने सदस्य पदाधिकारी हैं स्पष्ट होनी चाहिए। इसलिए पसमान्दा मुस्लिम समाज का स्पष्ट मानना है जब तक उपरोक्त सवालों का वैज्ञानिक एंव तार्किक जबाब ना आ जाये वंचित वर्गों को इस अभियान से दूरी बनानी होगी क्योंकि अन्य दलों की नीति और नियत से जन सुराज बिल्कुल अलग है। इसकी पुष्टि होना अभी बांकी है।
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प्रो. फिरोज मंसूरी ने कहा की वह सब कुछ गलत कह रहे हैं यह कहना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि बांकी दलों का चाल चरित्र और चेहरा भी संदिग्ध है जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी की बात हर कोई करता है मगर न्यायपूर्ण आर्थिक संसाधनों राजनितिक हिस्सेदारी की बात पर सबकी चुप्पी एक समान है जो चिन्ता का विषय है।