जाति गणना पर फिर गरजे राहुल, जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी
जाति गणना पर फिर गरजे राहुल, जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी। कहा हमें दलित, ओबीसी को शक्ति देनी है। प्रेस वार्ता में कहा जाति गणना से प्रधानमंत्री भाग रहे।
राहुल गांधी ने जाति गणना को अच्छे से धर लिया है। उन्होंने शुक्रवार को विशेष प्रेस वार्ता में कहा कि जाति गणना से ही पता चलेगा कि किसी कितनी आबादी है। जिसकी जितनी आबादी है, उसे उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जाति गणना कराने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग रहे हैं, इसीलिए महिला आरक्षण को टाल दिया। महिलाओं को आरक्षण दस साल में मिलेगा या प्रंद्रह साल में कोई नहीं जानता। उन्होंने कहा कि जाति गणना की रिपोर्ट सरकार जारी करे और नई जनगणना जाति के आधार पर कराए।
राहुल गांधी ने कहा कि आजादी का आंदोलन हिंदुस्तान के लोगों के हाथ में शक्ति सौंपने का एक तरीका था। जातिगत जनगणना से जो डेटा निकलेगा, वह हिन्दुस्तान की जनता को और शक्ति सौंपने का एक तरीका है। हमें हिंदुस्तान के OBC, दलित, आदिवासियों और महिलाओं को शक्ति देनी है। पत्रकार के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आएगी तो जातिगत जनगणना कराएंगे। देश को पता चलेगा कि OBC, दलित और आदिवासी कितने हैं। उन्हें देश चलाने में भागीदारी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग गिना रहे हैं कि हमारे इतने सांसद पिछड़ी जाति के हैं। लेकिन सवाल है कि क्या सरकार की नीतियां बनाने में उनकी कोई भागीदारी है। कहा कि आप किसी भी BJP के MP से पूछ लीजिए कि वो कोई निर्णय लेते हैं? कानून बनाने में भाग लेते हैं? बिल्कुल नहीं। OBC के MP’s को मूर्ति बना रखा है, जिनके पास पावर बिल्कुल नहीं है।
राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि वो OBC के लिए बहुत काम करते हैं। अगर वे OBC के लिए काम करते हैं, तो 90 सचिवों में से सिर्फ 3 सचिव OBC से क्यों हैं? ये OBC आफिसर्स देश के बजट का कितना और क्या कंट्रोल कर रहे हैं? मुझे ये पता लगाना है कि हिन्दुस्तान में OBC कितने हैं और जितने हैं उतनी भागीदारी उन्हें मिलनी चाहिए। संसद के इस विशेष सत्र का मुख्य मुद्दा महिला आरक्षण था। लेकिन इसके साथ दो शर्तें भी थीं कि महिला आरक्षण करने से पहले जनगणना और परिसीमन करवाना होगा, जिसे करने में कई साल लगेंगे। सच्चाई ये है कि महिला आरक्षण को आज लागू किया जा सकता है। संसद और विधानसभा में महिलाओं को आरक्षण दिया जा सकता है। लेकिन मोदी सरकार ये नहीं करना चाहती, वो सिर्फ गुमराह कर रही है। गुमराह किस चीज से- जातिगत जनगणना से।
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