जातीय समीकरण पर नहीं, मुद्दों पर खड़ी हो रही कांग्रेस : भक्तचरण
जब से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से भक्तचरण दास ने प्रदेश प्रभारी के तौर पर काम करना शुरू किया है, कांग्रेस कुछ बदली-बदली-सी नजर आ रही है।
कुमार अनिल
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा नियुक्त बिहार प्रभारी भक्तचरण दास ने कहा कि वे कोई नया जातीय समीकरण बनाने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि बिहार के वास्तविक मुद्दों पर जनता को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं।
भक्तचरण दास के आने के बाद बिहार कांग्रेस कुछ बदली-बदली-सी दिख रही है। वे पिछले कई दिनों से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। अबतक उन्होंने 14 जिलों में पदयात्रा की है। यह पदयात्रा किसान सत्याग्रह कार्यक्रम के तहत 26 जनवरी को पटना जिले के बिक्रम से शुरू हुई और कल सात जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में समाप्त होगी।
नौकरशाही डॉट कॉम से एक विशेष बातचीत में भक्तचरण दास ने बताया कि हर जिले में किसान सत्याग्रह को लोगों का भारी समर्थन मिला। औरंगाबाद में वरिष्ठ कांग्रेस नेता निखिल कुमार भी शामिल हुए। इसी तरह चंपारण के मुरलीभरवा से भितिहरवा तक की किसान सत्याग्रह पदयात्रा को भारी समर्थन मिला।
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यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस को वे किस प्रकार मजबूत करना चाहते हैं, क्या सवर्ण-मुस्लिम-दलित एकता का पुराना समीकरण वे जिंदा कर रहे हैं, भक्तचरण दास ने कहा कि वे किसी समीकरण के बजाय मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। बिहार के किसान देश के सबसे गरीब किसानों में शामिल हैं। वे किसान, मजदूर, छात्र- युवा, महिला हर तबके के मुद्दों को सामने लाकर उन्हें संगठित करना चाहते हैं।
भक्तचरण दास इन 14 जिलों में सौ किमी पदयात्रा कर चुके हैं। उनके साथ जिले के कार्यकर्ता और नेता शामिल रहे हैं। यह किसान सत्याग्रह मुख्यतः गांवों में हुई है। मीडिया और प्रचार से दूर इस पदयात्रा का अनुभव कैसा रहा पूछने पर दास कहते हैं, हर जगह आम लोगों का समर्थन मिला है। जो कांग्रेस नेता घर में बैठे थे, उन्हें भी किसान सत्याग्रह ने सक्रिय कर दिया है।
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किसान सत्याग्रह मूलतः केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों की वापसी पर केंद्रित है। इसके साथ ही दास देश में लोकतंत्र और संविधान का सवाल भी हर सभा में उठाते हैं। कहते हैं, नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनाव आयोग, विवि, आरबीआई, वीसी जैसे संस्थानों और पदों की स्वतंत्रता खत्म कर दी है। हर जगह कठपुतली बैठाई जा रही है।
दास कहते हैं बिहार उनकी अपनी भूमि है। उनका यहां से 40 वर्षों का संबंध है। वे किसान सत्याग्रह के दौरान भी लगातार कार्यकर्ताओं से मिलते रहे। आज सुबह नौ बजे तक वे सौ से अधिक कार्यकर्ताओं-नेताओं से मिल चुके थे। कहते हैं, भाजपा में लोकतंत्र नहीं है। वहां कोई सांसद भी प्रधानमंत्री से सवाल नहीं कर सकता, जबकि कांग्रेस में राहुल गांधी सबसे बात करते हैं। हर पीड़ित के पास पहुंचते हैं, चाहे किसान हो, महिला हो, छात्र-युवा हो।