मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खेला कर दिया है। भाजपा सन्न है। पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए संसदीय समिति की बैठक में जदयू ने देशभर में जाति गणना की मांग कर दी है। उन्होंने इंडिया गठबंधन के सांसद के सुर में सुर मिलाते हुए जनगणना के साथ जातिगत गणना की मांग की। इस खबर के बाद अचानक राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पहले से बैकफुट पर खड़ी भाजपा के होश उड़ गए हैं। याद रहे दो दिन पहले ही चिराग पासवान ने भी जातिगत गणना की मांग की थी।
दरअसल पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति की पहली बैठक में डीएमके सांसद डीआर बालू ने यह मुद्दा उठाया था। उसके बाद समिति में चर्चा के लिए विषयों को सूचीबद्ध करने के लिए गुरुवार को बैठक हुई। इसमें कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने देश में जातिगत जनगणना की मांग उठाई। इस मुद्दे पर टीएमसी ने भी समर्थन कर दिया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी वही मांग दुहराई। फिर जदयू के सांसद गिरिधारी यादव भी इंडिया गठबंधन के सांसदों के साथ खड़े हो गए। उन्होंने भी जातिगत जनगणना को देश की जरूरत बताते हुए इसे चर्चा के लिए सूचीबद्ध करने की मांग कर दी। समिति के चेयरमैन भाजपा के सांसद गणेश सिंह हैं।
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इधर आज ही बिहार में राजद ने इस मुद्दे पर आंदोलन की घोषणा कर दी है। एक सितंबर को प्रदेश भर में राजद धरना देगा। पटना में धरना का नेतृत्व खुद तेजस्वी यादव करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लैटरल इंट्री, वक्फ एक्ट में संशोधन बिल की तरह इस मुद्दे पर भी झुकने को बाध्य है। ऐसा हुआ तो देश की राजनीति में भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति संकट में फंस जाएगी। इसे राहुल गांधी, अखिलेश यादव और इंडिया गठबंधन की जीत माना जा रहा है।