तलाक बिल के विरोध का डंका पीटने वाले JDU ने अपने घोषित स्टैंड से पलटी मारते हुए अब इस बिल का विरोध करने के बजाये वॉकआउट करने का फैसला लिया है.

 हड़कम्प:तलाक बिल पर ऐन वक्त पर JDU ने मारी पलटी, BJP की राह हुई आसान

तलाक बिल के विरोध का डंका पीटने वाले JDU ने अपने घोषित स्टैंड से पलटी मारते हुए अब इस बिल का विरोध करने के बजाये वॉकआउट करने का फैसला लिया है.

ऐसे में तलाक बिल को पारित कराना BJP के लिए आसान हो गया है. JDU लगातार तलाक बिल का विरोध करने के अपने एजेंडे पर कायम था. लेकिन अब जबकि इस बिल पर राज्यसभा में चर्चा चल रही है, ऐसी स्थिति में उसने अपने स्टैंड में बदलाव करते हुए इस बिल का विरोध करने के बजाये अब वोटिंग के दौरान वाकआउट करने की घोषणा कर दी है.
जदयू के इस फैसले का सीधा लाभ भाजपा को इस लिए मिल जायेगा क्योंकि उधर BJD यानी बीजु जनता दल ने अपने पुराने स्टैंड को बदलते हुए इस बिल का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. BJD के इस फैसले से भाजपा सरकार की राह और भी आसान हो गयी है.
अब तक बीजेपी की सहयोगी जेडीयू इस बिल के विरोध में वोट करने की बात कह रही थी। ऐसे में बीजेपी के लिए इस बिल को पास करना काफी मुश्किल हो जाता। लेकिन जेडीयू के वोटिंग में हिस्सा न लेने से बीजेपी ने जरूर राहत की सांस ली होगी।
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वोटिंग का यह है गणित

245 सदस्यों की राज्यसभा में 4 सीटें खाली हैं। ऐसे में 241 सदस्यों के इस सदन में बहुमत का आंकड़ा 121 है. उधर मनोनीत सदस्यों को जोड़ लेने के बाद एनडीए के सांसदों की कुल संख्या 12 बढ़ जायेगी. उधर एनडीए की अन्य पार्टियों की कुल संख्या मिलाने के बाद एनडीए को कुल 114 सदस्यों का समर्थन मिल जायेगा. लेकिन JDU के 6 सदस्यों सदन से वॉकआउट कर जाते हैं तो बहुमत के लिए एनडीए को महज 118 सदस्यों की जरूरत रह जायेगी. तब इस बिल को पारित होने के लिए 118 सदस्यों की जरूरत रहेगी. ऐसे में एनडीए को इस बिल को पारित करवाने में मात्र चार सदस्य कम पड़ेंगे.  उधर एनडीए को उम्मीद है कि आरटीआई बिल पर समर्थन करने वाली पार्टियां उसके साथ आ जायेंगी.
आपको याद दिला दें कि अब तक यह बिल लोकसभा से दो बार पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा में जा कर यह बिल बहुमत न मिलने के कारण अंंटक जाता था. लेकिन इस बार भाजपा को उम्मीद है कि वह इस बिल को पास करवा लेगी.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके जैसे दलों की मांग है कि सरकार को इस विधेयक को उच्च सदन में पेश करने से पहले इससे संसदीय पैनल के पास स्क्रूटनी के लिए भेजना चाहिए।

By Editor


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