जदयू ने बिहार में हाईकोर्ट के बेंच के गठन की मांग की, जिसे केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया। जदयू सांसद ने लोकसभा में मामला उठाया और कहा कि बिहार इतना बड़ा प्रदेश है, लेकिन हाईकोर्ट की कोई बेंच नहीं है। इससे लोगों को न्याय पाने में कठिनाई हो रही है। उनकी इस मांग को कानून मंत्री ने खारिज कर दिया। राजद जदयू और भाजपा पर प्रदेश को गुमराह करने का आरोप लगाया। चुनौती देते हुए कहा कि जब जदयू की मांग केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दी, तो जदयू सरकार से अपना समर्थन वापस ले।
बांका से जदयू के सांसद गिरिधारी यादव ने शुक्रवार को लोकसभा में हाईकोर्ट के बेंच का मामला उठाया। उन्होंने प्रश्नकाल में मामला उठाते हुए कहा कि बिहार में हाईकोर्ट की बेंच नहीं है। बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। हाइकोर्ट की बेंच का गठन केंद्रीय सूची में शामिल है। बिहार से कम आबादी वाले प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच है, लेकिन बिहार में नहीं है। केंद्र सरकार हाईकोर्ट की बेंच के गठन की पहल करे।
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केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि हाईकोर्ट की बेंच के गठन 1981 के जसवंत सिंह आयोग की सिफारिशों तथा सुप्रीम कोर्ट के अनुसार होता है। इसके लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तथा राज्यपाल की अनुशंसा जरूरी है, जिसे केंद्र को भेजा जाना चाहिए। अनुशंसा के साथ ही राज्य सरकार को आधारभूत ढांचा मुहैया कराना होता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भागलपुर में हाईकोर्ट के बेंच के गठन पर कोई विचार नहीं कर रही है। इसके बाद राजद ने कहा कि जदयू की मांग केंद्र सरकार ने खारिज कर दी है। जदयू केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले।