JDU को समर्थन देने पर RJD के रणनीतिकारों में मतभेद?
RJD के रणनीतिकार संजय यादव के फेसबुक पोस्ट से राजनीति गरमाई। जातीय जनगणना से नीतीश सरकार पर संकट आया, तो RJD को क्या करना चाहिए?
यूपी चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना कराने का फैसला ले सकते हैं। विशेष स्थितियों में वे यह फैसला पहले भी ले सकते हैं। भाजपा जातीय जनगणना के खिलाफ है। पिछले दिनों राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा था कि अगर जातीय जनगणना से राज्य में नीतीश सरकार से भाजपा समर्थन वापस लेती है, तो वे सरकार को गिरने नहीं देंगे। वैसी स्थिति में राजद JDU का समर्थन करेगा।
राजद के रणनीतिकार संजय यादव ने एक फेसबुक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने अनेक उदाहरण देकर यह याद दिलाया है कि राजद ने खुद त्याग करके जदयू के साथ समझौता किया। नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन उन्होंने राजद को धोखा देकर फिर से भाजपा के साथ जा मिले। संजय यादव ने जीतनराम मांझी, वीआईपी जैसे दलों को समर्थन देने का उदाहरण भी दिया, जिन्हें बाद में भाजपा ने अपने पाले में कर लिया। इसके बाद वह इन दलों को राजद के खिलाफ इस्तेमाल करता रहता है।
संजय यादव ने लिखा है-2015 में भाजपा से अपनी घोर वैचारिक लड़ाई के चलते ही लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के साथ गठबंधन किया। निडर और बेख़ौफ़ लालू प्रसाद ने हाथों में Bunch of Thoughts पुस्तक लेकर RSS के जातिवादी एवं संविधान और आरक्षण विरोधी होने का प्रमाण दिया लेकिन 2017 में महज़ 18 महीनों में ही बहाना बना प्रचंड जनादेश का अपमान करते हुए नीतीश कुमार उसी आरक्षण विरोधी अपने सबसे नज़दीक वैचारिक सहयोगी RSS और BJP की गोद में चले गए जो आज प्रतिदिन उन्हें अपमानित कर रही है।
संजय यादव ने नीतीश कुमार को सुविधा की राजनीति करनेवाला बताया। कहा, कभी वे भाजपा को हराने के लिए विपक्ष के साथ आ जाते हैं, कभी बहाना बनाकर भाजपा के साथ हो जाते हैं।
संजय यादव के फेसबुक पोस्ट से स्पष्ट है कि राजद में किसी विशेष स्थिति में नीतीश को समर्थन देने के सवाल पर एक राय नहीं है। किसी लोकतांत्रिक दल में विचारों की भिन्नता होनी ही चाहिए। अब देखना है कि राजद इस सवाल पर पार्टी में किस प्रकार एक राय बनाता है।
उधर दिन पर दिन जदयू और भाजपा के संबंधों में दरार बढ़ती जा रही है। यूपी में जदयू ने भाजपा द्वारा ठुकरा दिए जाने के बाद अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। अगर नीतीश कुमार यूपी में जदयू का प्रचार करने गए, तो दरार खाई में बदल सकती है। देखिए, आगे होता है क्या!
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