JDU कार्यकारिणी के चार फैसले जो BJP के साथ कड़वे रिश्ते को मिठास में बदलने में रहेंगे बाधक
JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक समाप्त हो गयी है. उम्मीद की जा रही थी कि BJP के साथ हाल के दिनों में कड़वे होते उसके रिश्ते में मिठास आयेगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.JDU के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कार्यकारिणी की बैठक समाप्त होने के बाद पत्रकारों से बात की और पार्टी के स्टैंड को स्पष्ट किया.
इससे पहले 30 मई को केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन के समय JDU ने सरकार में शामिल होने से साफ मना कर दिया था और उसके दो दिनों बाद ही बिहार के मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया. इस विस्तार में भाजपा को एक भी विभाग का मंत्री नहीं बनाया गया. इन दो घटनाओं के बाद लगातार दोनों दलों के बीच कंफ्युजन बढ़ता ही गया.
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हालांकि माना जा रहा था कि JDU कार्यकारिणी कुछ ऐसे फैसले लेगी जिससे भाजपा को राहत देती पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
आइए देखते हैं कि JDU की कार्यकारिणी में क्या तय किया गया.
एक
जदयू ने साफ किया है कि प्रशांत किशोर की कम्पनी ममता बनर्जी के लिए चुनाव अभियान का काम करे, इससे जदयू को कोई मतलब नहीं है. हालांकि केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी, एनडीए का हिस्सा है और चाहती है कि ममता बनर्जी हारें. याद रहे कि प्रशांत किशोर जदयू के राष्ट्रीय वाइस प्रेसिडेंट हैं.
दो
जदयू ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी बिहार के अलावा दिल्ली, झारखंड, जम्मू कश्मीर समेत चार राज्यों में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी. त्यागी ने कहा कि उनका टारगेट है कि 2020 तक उनकी पार्टी राष्ट्रीय दल का स्वरूप प्राप्त कर ले. JDU के इस फैसले का साफ परिणाम यह है कि वह झारखंड में भाजपा से टकरायेगी जहां भाजपा की सरकार है. झारखंड में जदयू का सीमित इलाके में अच्छा प्रभाव माना जाता है.
तीन
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने साफ कर दिया है कि वो 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव एनडीए के खेमे से ही लड़ेगी. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद केसी त्यागी ने कहा कि हम NDA के साथ पूरी तरह से हैं और 2020 में NDA के साथ ही चुनाव लड़ेंगे.
जदयू के इस बयान में कोई नयापन नहीं है. वह इस बात को बार बार दोहराता रहा है. लिहाजा उसके इस बयान से भाजपा की तरफ से कोई खास प्रतिक्रिया आने की संभावना नहीं है.
चार
केसी त्यागी ने कहा कि मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. इसे लेकर झूठ फैलायाया गया. केन्द्र में BJP को पूर्ण बहुमत मिला है और जेडीयू ने कभी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी नहीं मांगी थी. इससे पहले जदयू कई बार स्पष्ट कर चुका है कि वह अब केंद्री कैबिनेट में शामिल नहीं होगा.
जदयू का यह फैसला भी नया नहीं है. वह 30 मई के बाद लगातार यह बात कह रहा है. जदयू के इस स्टैंड से भाजपा के साथ उसके रिश्ते में पसरते संशय पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, ऐसा माना जा रहा है.