जदयू ने माना बिहार के मुसलमानों में ओवैसी ने बना ली है जगह
गोपालगंज में राजद की हार के बाद मंथन जारी है। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने ओवैसी की पार्टी पर विचार जरूरी बताया। दो तरह की अटकलों का बाजार गर्म।
जदयू-राजद के मिलने से कागज पर महागठबंधन मजबूत दिख रहा था, लेकिन गोपालगंज में महागठबंधन के राजद प्रत्याशी मोहन गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि हार बहुत कम 1794 मतों से हुई, लेकिन यह हार महागठबंधन में मुद्दा बन गई है। यहां ओवैसी की पार्टी एमआईएम को 12214 वोट मिले। यह कुल मत का सात प्रतिशत से अधिक है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पहली बार स्वीकार किया कि बिहार में ओवैसी ने मुसलमानों में अपना जनाधार बना लिया है।
कुशवाहा ने अपने प्रेस बयान में कहा कि गोपालगंज सीट पर एमआईएम ने भी 12 हजार से अधिक वोट प्राप्त किए हैं, महागठबंधन के लिए यह विचारणीय प्रश्न जरूर है। यदि वोटों का यह बिखराव नहीं होता तो गोपालगंज सीट से भी भाजपा की विदाई तय ही थी। कुशवाहा ने साफ-साफ कुछ नहीं कहा, लेकिन इन पंक्तियों से स्पष्ट है कि वे मान रहे हैं कि एमआईएम ने अपना जनाधार बना लिया है।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा के बयान से स्पष्ट नहीं होता कि एमआईएम के प्रति महागठबंधन का क्या रूख होगा। यहां से दो रास्ते निकलते हैं। पहला यह कि महागठबंधन एमआईएम को भाजपा की बी टीम साबित करे और इसके खिलाफ संघर्ष का मोर्चा खोल दे। दूसरा रास्ता यह भी हो सकता है कि एमआईएम को महागठबंधन का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया जाए और उसके साथ मिल कर काम किया जाए।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि भले ही गोपालगंज में राजद की हार के बाद महागठबंधन के कई कार्यकर्ता ओवैसी को भाजपा की बी टीम कह रहे हैं, लेकिन किसी बड़े नेता ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा ने भी आमआईएम को भाजपा की सहयोगी जैसा कोई आरोप नहीं लगाया है। इसीलिए यहां से दोनों रास्ते खुलते हैं। या तो एमआईएम के खिलाफ संघर्ष या उससे दोस्ती।
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