Niraj kumar, JDU, खुला पत्र, नीरज कुमारनीरज कुमार जनता दल यू के प्रवक्ता हैं

बलात्कारकांड पर आक्रामक तेजस्वी के सख्त तेवर से परेशान JDU ने राहुल, ममता, केजरीवाल, शरद व अखिलेश यादव के नाम खुला पत्र लिख कर राजद और उसके नेताओं पर लगे आरोपों की याद दिलाई है. Niraj kumar, JDU

नीरज कुमार जनता दल यू के प्रवक्ता हैंजदयू ने अपने पत्र में  कहा कहा है कि उन्हें तेजस्वी का समर्थन नहीं करना चाहिए.

यह पत्र जनता दल यू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने लिखा है. नीरज ने इस पत्र में हालांकि मुजफ्फरपुर बालिका गृह बलात्कार का सीधा उल्लेख नहीं किया है लेकिन उन्होंने तेजस्वी द्वारा दिल्ली में दिये गये उस धरने का उल्लेख किया है जिसे उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री से इस्तीफा की मांग की थी. इस धरने में राहुल, केजरीवल, शरद के अलावा टीएमसी, सपा, कम्युनिस्ट समेत तमाम विपक्षी दलों के नेता शरीक हुए थे. मुजफ्फरपुर बलात्कार कांड में विपक्ष के दबाव के बाद समाज कल्याण मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था. विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार जदयू व इसके अध्यक्ष नीतीश कुमार पर ताबड़तोड़ हमला करता रहा है. इस हमले के बात जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने अपना पक्ष रखते हुए खुला पत्र लिखा है.

यहां पढ़िये उस पत्र का  पूरा कंटेंट

 

पटना/दिनांक – 27.08.2018
माननीय

आप सभी माननीय पिछले अगस्त महीने में सजायाफ्ता और राजद प्रमुख श्री लालू प्रसाद जी के पुत्र और भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी की ओर से दिल्ली में आयोजित धरना कार्यक्रम को या तो समर्थन दिए थे या उसमें खुद भाग लेने पहुंचे थे। आज के राजनीतिक दौर में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि-क्या धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की लड़ाई के लिए भ्रष्टाचारी, चार्जशीटेड, दुष्कर्म और देह व्यापार का आरोपी होना आवश्यक है?

एक ओर जहां लालू प्रसाद जी चारा घोटाला के कई मामलों में सजा काट रहे हैं वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और पुत्र तेजस्वी यादव व अन्य के खिलाफ 2006 में आईआरसीटीसी होटल रखरखाव अनुबंध से जुड़े धनशोधन के एक मामले में आरोपपत्र दाखिल किया है।

आखिर जिस पार्टी के अध्यक्ष को हमारे देश के कानूनी प्रावधानों के मुताबिक चुनाव लड़ने तक पर रोक लगा दी गई हो, जिसे अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनाई हो तथा उसी पार्टी का सर्वेसर्वा भी जेल के रास्ते में हो और उस पर एक संवैधानिक संस्था द्वारा अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया हो, उस पार्टी से गठबंधन करना कहां तक उचित है?
चारा घोटाला में भले ही अदालत ने आज सजा सुनाई हो, परंतु यह मामला काफी पुराना है, ऐसे में सत्ता पक्ष द्वारा राजनीतिक विद्वेष की भावना को भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।

ऐसे भी बहुत पहले ही रहीम दास कह चुके हैं –
’’ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों ।
तातो जारै अंग सीरै पै कारौ लगै ।’’

आप सभी अलग-अलग दल के मुखिया हैं परंतु मेरे पार्टी के विचार से राजनीति में भ्रष्टाचार को कतई स्थान नहीं दिया जा सकता है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्ता से समझौता करना भी राजनीति में कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के भविष्य के लिए उचित नहीं।

अब तो स्थिति यह है कि राजद में महिला अपराधीकरण का बोलबाला हो गया है। राजद के विधायक राजबल्लभ यादव एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद हैं तो तेजस्वी यादव के पीए मणि यादव पर अनैतिक देह व्यापार में शामिल होने का न केवल आरोप है बल्कि पटना पुलिस उन्हें इस मामले में जेल भी भेज चुकी है। स्थिति यह है कि भोजपुर जिले में एक महिला को निर्वस्त्र कर घूमाने के मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी कौशल किशोर यादव भी राजद के ही सदस्य हैं।

ऐसे में इनमें से किसी भी आरोपी को अब तक दल से निष्कासित नहीं किया जाना कई सवालों को जन्म देता है। आपलोगों को यह जान लेना भी आवश्यक है कि लालू प्रसाद जी के बड़े पुत्र और पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि पार्टी में असामाजिक तत्व शामिल हैं, जिन्हें निकाला जाना चाहिए।

ऐसे में आप सभी को यह तय करना है धर्मनिपेक्षता, सामाजिक न्याय की लड़ाई के लिए भ्रष्टाचारी और महिलाओं का शोषण जरूरी है? अगर नहीं तो आज के दौर में जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के आरोपितों एवं शीर्ष नेतृत्व द्वारा बलात्कार एवं देह व्यापार जैसे घृणित मामले में राजनैतिक संरक्षण देना बंद करें ।

माननीय राहुल जी, आपको स्मरण दिलाना आवश्यक है कि आपके नाम के आगे ’ गाँधी ’ शब्द जुडा हुआ है जो त्याग, करूणा और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है। अगर आपने ऐसे राजनीतिक जमात, जो भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता एवं आरोपित है तथा दुष्कर्म व अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत आरोपी को अपना राजनीति में ’ आइकॉन ’ मानता है, के साथ मित्रता की है तो एकबार फिर से विचार करना चाहिए।

वैसे, अगर आपका ऐसे लोगों के साथ गठबंधन राजनैतिक ईर्ष्या की बुनियाद पर है तब कम से कम अपने नाम के साथ जुड़ा ’गांधी’ शब्द को हटा दें अन्यथा वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ी आपको गांधी के नाम के इस्तेमाल के लिए राजनैतिक रूप से कलंकित करते रहेगी।

भवदीय

नीरज कुमार

प्रवक्ता, जदयू

By Editor


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