Jharkhand सखी मंडल रोजगार ही नहीं आत्मसम्मान भी दे रहा
Jharkhand का सखी मंडल कुछ अलग है। इससे रोजगार ही नहीं, आत्मसम्मान-आत्मविश्वास भी बढ़ा है। दीदियां सिर्फ रोजगार ही नहीं कर रही, जंगल भी बचा रहीं।
झारखंड की हेमंत सरकार की दूर-दराज के कमजोरवर्ग की महिलाओं के लिए सखी मंडल की योजना चला रही है। इस योजना पर खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नजर है। वे हर कुछ दिनों में आत्मसम्मान और आत्मविश्वास से भरी सखी मंडल की महिलाओं की तस्वीर और उपलब्धियों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं।
आज भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐसे ही एक गांव की तस्वीर शेयर की है, जिसमें महिलाएं गांव में रोजगार करके आत्मसम्मान के साथ रह रही हैं। एक मायने में यह मनरेगा से बेहतर है। मनरेगा में काम मांगना पड़ता है, जबकि सखी मंडल की दीदियां काम कर रही हैं और काम दे भी रही हैं। उन्हें अब किसी के आगे हाथ नहीं पसारना पड़ता।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज ट्वीट किया- लालबथानी गांव का खुशबू आजीविका सखी मंडल साहेबगंज का पहला समूह है जिसे बैंक द्वारा क्रेडिट लिंकेज के रुप में 5 लाख की राशि दी गई है। इस सखी मंडल की दीदियां आज लोन की राशि से कपड़ा , श्रृंगार, पशुपालन, खेती एवं अन्य उद्यम से जुड़कर अच्छी आमदनी कर रही हैं।
एक जुलाई को भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करके सखी मंडल की महिलाओं की हौसलााफजाई की थी। उन्होंने ट्वीट किया था- दुमका जिला की सुगामुनी ने साहूकारों के चंगुल से निकलने और नियमित आय करने के लिए #सखी_मंडल से 30 हज़ार रु का ऋण लेकर किराना दुकान की शुरुआत की, और आज प्रतिमाह 7000 तक की आमदनी कर रही है। साथ ही अपने गांव में सक्रिय महिला के रूप में काम करती है।
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@onlineJSLPS के ट्विटर हैंडल पर जाएं, तो सखी मंडल की पहलकदमियां चौंकाती हैं। एक तस्वीर है, जिसमें महिलाएं जंगल की रक्षा के लिए तत्पर दिख रही हैं। तस्वीर देखकर क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की याद आती है।
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