जिंदा जलाने पर जब मीडिया गोदी हो जाए, तो आम लोग बनें पत्रकार

जिंदा जलाने पर जब मीडिया गोदी हो जाए, तो आम लोग बनें पत्रकार

दो मुस्लिम युवाओं को जिंदा जलाने पर मीडिया में तूफान की जगह खामोशी है। जब मीडिया गोदी मीडिया बन जाए, तब लेखक अशोक पांडेय की तरह आम लोग बनें पत्रकार।

हरियाणा में दो मुस्लिम युवाओं को जिंदा जला दिया गया। इस बर्बर घटना पर मीडिया में खामोशी है। मीडिया अपना कर्तव्य भूल जाए, तो लेखक-कवि सामने आते हैं। लोखक अशोक कुमार पांडेय अब तक इतिहास को तोड़-मरोड़ कर गांधी, भगत सिंह, नेहरू के खिलाफ नफरत फैलाने के विरोध में किताबें लिखते रहे हैं। गोष्ठियों में साहस के साथ वाट्सएप यूनिवर्सिटी के झूछ का भंडाफोड़ करते रहे हैं। अब वे कैमरा लेकर वहां पहुंचे, जहां दो मुस्लिम युवाओं को जिंदा जला दिया गया।

लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कई फोटो ट्वीट करते हुए लिखा-आज सुबह से घाटमीका में भटक रहा हूँ..वह गाँव जहाँ के दो युवाओं को चार दिन पहले गाड़ी में जला कर मार दिया गया। हर तरफ़ दर्द और ग़ुस्सा है…लाचारी है..बेबसी है। पाँच साल पहले घाटमीका के ही उमर मोहम्मद को लिंच कर दिया गया था। यह उसके बूढ़े बाप हैं। बेटे के मरने के बाद से ही बिस्तर पर हैं। सरकार से कोई मदद नहीं मिली। उमर का बेटा ड्राइवर है… पाँच साल बाद दो और घर तबाह हुए। जल्द ही YouTube पर कहूँगा अपनी बात… लेखक ने खुद पीड़ितों के बीच पहुंच कर यह भी संदेश दिया है कि जब पत्रकार सत्ता की गोद में खेलने लगे, तो आम लोगों को पत्रकार बनना होगा और सच को सामने लाना होगा।

उम्मीद है, जल्द ही लेखक पीड़ित परिवारों से हुई बातचीत पर वीडियो भी जारी करेंगे। उनके ट्वीट पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी है। आफरीन ने लिखा-हम मुसलमान हैं @Ashok_Kashmir सर, सब्र करना जानते हैं ये भी पता है भाजपा सरकार में इंसाफ़ नहीं मिलेगा। नौशाद शेख ने लिखा-ये दर्द असहनीय है सर परिवार पर क्या गुजर रही होगी। मो. मोशरर्फ रेजा ने लिखा-हर तरफ़ दर्द और ग़ुस्सा है…लाचारी है..बेबसी है। यही हाल है पूरे हिन्दुस्तानी मुस्लमान का..।

खास बात यह कि घटना में आरोपित का नाम आ चुका है-मोनू मुनेसर लेकिन पुलिस अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

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