बिहार में एनडीए की रोज सभाएं हो रही हैं, लेकिन किसी सभा में अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। बीच चुनाव उन्हें प्रचार से बाहर करना खई लोगों को खल रहा है। वे गया तक सिमट कर रह गए हैं। राजनीतिक गहमागहमी से दूर वे सामाजिक कार्यों में शामिल होते दिख रहे हैं।
नौकरशाही डॉट कॉम ने पूर्व मुख्यमंत्री मांझी के सोशल मीडिया एक्स को गौर किया, तो पाया कि वे 14 मई को बनारस गए थे। वहां वे प्रधानमंत्री मोदी के नामांकन में शामिल हुए, लेकिन वहां भी उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। वे सिर्फ गिनती के काम आए। वहां से लौट कर वे गया में है। शनिवार को वे गया जिले के शिक्षक के निधन पर सांत्वना और श्रद्धांजलि देते दिखे। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह सीतामढ़ी आए, लेकिन वहां भी मांझी नहीं दिखे। उससे पहले 13 मई को प्रधानमंत्री मोदी हाजीपुर में थे। पटना में रोड शो किया, लेकिन इन कार्यक्रमों में भी मांझी कहीं दिखे नहीं।
एनडीए के कई कार्यक्रमों में नीतीश कुमार भी नहीं दिख रहे हैं। वे अमित शाह के साथ मंच साझा करते नहीं दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री अकेले सभाओं को संबोधित कर रहे हैं।
इधर इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता अपने-अपने स्तर से अथवा संयुक्त रूप से सक्रिय दिख रहे हैं। तेजस्वी यादव के साथ प्रायः सभाओं में मुकेश सहनी साथ रहते हैं। हाल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पटना आए, तो इंडिया गठबंधन के सभी दलों ने साथ प्रेस वार्ता भी की।
बिहार में अब तक हुए चार चरणों के चुनाव में कई जगहों से रिपोर्ट है कि जहां भाजपा प्रत्याशी हैं, वहां जदयू के नेता सक्रिय नहीं हैं और जहां जदयू के प्रत्याशी हैं, वहां भाजपा नेता जी-जान से नहीं जुटे हैं। जदयू के एक नेता ने कहा कि वे चाहते हैं कि भाजपा को कम सीटें आएं। अगर भाजपा अकेले बहुमत नहीं हासिल करेगी, तभी उनकी पूछ होगी।