कल बिहार बंद, उसके बाद तेजस्वी की योजना क्या है
26 मार्च को तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए भारत बंद है। कल ही बिहार में तेजस्वी यादव ने बिहार बंद का एलान कर दिया है। उसके बाद क्या करेंगे तेजस्वी ?
कुमार अनिल
राजद ने कल बिहार बंद का एलान कर दिया है। बिहार बंद विधानसभा में पुलिस के प्रवेश, विधायकों को पीटे जाने, महिला विधायक को अपमानित करने के खिलाफ आयोजित किया गया है। देश के इतिहास में पहली बार इस तरह विधानसभा में पुलिस घुसी। अगर मुख्यमंत्री लालू प्रसाद होते या गैर भाजपा की सरकार होती, तो सारे अखबार सत्ता के खिलाफ विशेष संपादकीय लिखते। जाहिर है तेजस्वी को मीडिया का साथ नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है।
सवाल यह है कि बिहार बंद के बाद तेजस्वी यादव क्या करेंगे? सबसे पहले आज के बिहार की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रख लेना चाहिए। भले ही बिहार के सारे अखबारों ने विधानसभा में पुलिस प्रवेश के लिए विपक्ष को ही दोषी ठहरा दिया हो, पर दिल्ली से प्रकाशित इंडियन एक्सप्रेस ने बिहार विधानसभा की घटना के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना की है। लिखा है कि कभी नीतीश कुमार में लोग पीएम मैटेरियल देखते थे, आज वे कहां है, इसका अनुमान उन्हें भी होगा। बिहार में जो पुलिस बिल लाया गया, उसे अखबार ने कंट्रोवर्सियल बिल कहा है। बिहार में बेरोजगार आंदोलन कर रहे हैं। लोग महंगाई से परेशान हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घटी है।
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इस स्थिति के बावजूद आम आदमी अबतक आंदोलित नहीं है। समाज का अच्छा हिस्सा अब भी नीतीश सरकार के साथ है। इसकी वजह है समाज में पहचान की राजनीति का प्रभाव। अच्छे-बुरे का आकलन संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर नहीं करके जाति और धर्म के आधार पर हो रहा है।
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पहचान की राजनीति पर मुद्दों की राजनीति तभी भारी पड़ेगी, जब इसके लिए समाज को बार-बार झकझोरा जाए। देश के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब कोई नेता लंबे अभियान पर निकल पड़ता है। लंबी पदयात्रा करता है। जिले-जिले में सभाएं-रैलियां करता है। फिर देखते-देखते जाति और धर्म में बंटी चेतना पर मुद्दों की चेतना भारी पड़ने लगती है। इसके लिए एक केंद्रीय नारा देना होगा। तेजस्वी ने कहा है कि सरकार को पुलिस बिल वापस लेना ही होगा। तीन कृषि कोनूनों को रद्द करने के लिए देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं। बड़े आंदोलन मुद्दों पर ही शुरू होते हैं, जो आगे जा कर राजनीतिक आंदोलन में तब्दील हो जाते हैं। संभव है बिहार में भी तेजस्वी को भविष्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस्तीफा दो का नारा देना पड़े।
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