कुमार अनिल
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और अब कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार बिहार पहुंच गए हैं। वे होली के तुरत बाद 16 मार्च से राज्यव्यापी नौकरी दो पदयात्रा करेंगे। शुरुआत चंपारण के भितिहरवा से करेंगे, जहां कभी महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह किया था। स्पष्ट है कि अब कन्हैया कुमार बिहार में कैंप करेंगे। इसका सबसे ज्यादा नुकसान प्रशांत किशोर और उनके जन सुराज को होगा।
प्रशांत किशोर की पूरी राजनीति का केंद्र नीतीश कुमार और भाजपा की सरकार से नाराज या असंतुष्ट वर्ग को तेजस्वी यादव के साथ जाने से रोकना है। इसीलिए वे कभी-कभी नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ भी बोलते हैं। वे हमेशा तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हैं। इसके जरिये वे एक तीसरा कोण बना रहे हैं। नीतीश-भाजपा सरकार से नाराज या असंतुष्ट वर्ग को तेजस्वी यादव तथा लालू यादव के प्रति डर पैदा करते हैं, ताकि ये वर्ग तेजस्वी के साथ न जाए। ऐसा होने पर भाजपा की राह आसान हो जाएगी। और इसीलिए कई राजनीतिक विश्लेषक उन्हें भाजपा की बी टीम भी कहते हैं।
अब कन्हैया कुमार के मैदान में उतर जाने से प्रशांत किशोर की राजनीति संकट में फस गई है। अब नीतीश-भाजपा सरकार से नाराज वर्ग जो तेजस्वी यादव की तरफ जाने से हिचकता है, उसके सामने कन्हैया के साथ जाने का एक और विकल्प खुल गया है। जाहिर है कन्हैया को जितना फायदा होगा, उतना ही प्रशांत किशोर को नुकसान होगा।
यह इस बात से समझा जा सकता है कि कन्हैया कुमार ने आते ही बिहार में युवाओं के सवाल पर पदयाक्षा करने की घोषणा की है। पदयात्रा का नाम नौकरी दो यात्रा रखा गया है। इससे समझा जा सकता है कि कन्हैया और कांग्रेस का फोकस बिहार का युवा वर्ग होगा। अगर कन्हैया कुमार सफल होते हैं, तो प्रशांत किशोर की राजनीति खिलने से पहले ही मुरझा जाएगी।