उप्र में कांवड़ यात्रा के रूट में फल, चाय, नाश्ता बेचने वाले दुकानदारों को दुकान के आगे अपना नाम लिखने के आदेश पर एनडीए में फूट पड़ गई है। जदयू, लोजपा और आरएलडी ने योगी सरकार के निर्णय का विरोध कर दिया है। जदयू ने कहा कि इससे समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ेगा। चिराग पासवान ने भी विरोध कर दिया है। इंडिया गठबंधन के दलों ने पहले ही भाजपा सरकार के निर्णय का विरोध किया था। अब बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस आदेश का विरोध कर दिया है। इस तरह इस मामले पर भाजपा अकेली पड़ गई है।
जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम लिखने के आदेश को वापस लेना चाहिए। इस निर्णय से सामाजिक सद्भाव बिगड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा उप्र ही नहीं, कई प्रांतों में निकलती है। उप्र में सरकार की सहयोगी आरएलडी ने भी योगी सरकार के इस निर्णय का विरोध कर दिया है। सरकार के इस आदेश से एनडीए में फूट पड़ गई है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस आदेश को तुरत वापस लेने की मांग की है।
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अब तक संघ से जुड़े संगठन तथा उग्र हिंदू संगठन मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का नारा देते रहे हैं। अब खुद पुलिस आदेश दे रही है कि दुकानदार को नाम लिखना होगा, जबकि हमारा संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता। उप्र सरकार का यह निर्णय सरासर संविधान के खिलाफ है। सवाल यह भी है कि अगर किसी शरारती तत्व ने मुस्लिम दुकानदार के साथ बदसलूकी की, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। इस बीच मुजफ्फरनगर के बाद कई और भी जिलों में इसी तरह के आदेश दिए गए हैं। खबरों के मुताबिक पुलिस ने दुकानों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मियों को काम करने से मना कर दिया है। दुकानदारों को मजबूरन अपने कर्मियों को छुट्टी पर वापस भेजना पड़ा है। अभी तक सरकार ने अपना आदेश वापस नहीं लिया है। जदयू के विरोध के बाद देखना है कि सरकार निर्णय वापस लेती है या नहीं।