करनाल में भी गूंजा अल्लाह हू अकबर, हर हर महादेव
करनाल में किसान धरने पर बैठे हैं। वहां अल्लाब हू अकबर, हर हर महादेव और वाहे गुरु का नारा गूंज रहा है। ये नारे गांवों में पहुंच गए हैं। ट्रोल्स परेशान हैं।
5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसान नेता राकेश टिकैत ने अल्लाह हू अकबर और हर हर महादेव दोनों नारे एकसाथ लगवा कर सांप्रदायिक राजनीति को ऐसा झटका दिया है कि हिंदू-मुस्लिम में नफरत फैला कर राजनीति करने वाले सकते में हैं। वे अल्लाह हू अकबर और हर-हर महादेव दोनों नारे एकसाथ लगने की काट खोज नहीं पा रहे। आईटी सेल और ट्रोल्स परेशान हैं।
पत्रकार अभिनव पांडे से ट्विटर पर किसी ने कहा कि हिंदू अल्लाह हू अकबर का नारा लगा सकता है, लेकिन कोई मुसलमान हर हर महादेव नहीं कह सकता। जवाब में अभिनव ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें मुस्लिम अल्लाह हू अकबर और हर हर महादेव दोनों नारे लगा रहे हैं।
अभिनव ने लिखा- ये मोहम्मद जौला हैं।स्व. बाबा टिकैत के साथी। जौला हमेशा बाबा टिकैत के साथ मंच पर रहते। 2013 के दंगों के बाद जाट-मुस्लिम गठजोड़ टूटा तो ये किसान यूनियन से अलग हो गए। किसान आंदोलन ने गठजोड़ फिर बना दिया। जौला लौट आए हैं, टिकैत के साथ नारा लगा रहे हैं, हर-हर महादेव..अल्लाह हू अकबर।
ये मोहम्मद जौला हैं।स्व. बाबा टिकैत के साथी।जौला हमेशा बाबा टिकैत के साथ मंच पर रहते।2013 के दंगों के बाद जाट-मुस्लिम गठजोड़ टूटा तो ये किसान यूनियन से अलग हो गए।
— Abhinav Pandey (@Abhinav_Pan) September 7, 2021
किसान आंदोलन ने गठजोड़ फिर बना दिया।जौला लौट आए हैं,टिकैत के साथ नारा लगा रहे हैं,हर-हर महादेव..अल्लाह हू अकबर pic.twitter.com/tU1VlG55PY
परवेज के ने नजीर अकबराबादी की हर-हर महादेव शीर्ष कविता पोस्ट की है। इसकी शुरुआती पंक्तियां हैं-
पहले नांव गणेश का, लीजिए सीस नवाय जा से कारज सिद्ध हों सदा महूरत लाए
बोल बचन आनंद के प्रेम, पीत और चाह सुन लो यारो ध्यान धर महादेव का ब्याह…।
लेखक अशोक पांडेय ने लिखा-अल्लाह हू अकबर यानी ईश्वर महान है। हर-हर महादेव यानी भगवान शिव की जय हो। क्या बुराई है साथ नारा लगाने में? कोई ऐसा धार्मिक नारा जो दूसरे धर्म को बुरा नहीं कहता, उसमें क्या दिक़्क़त है? अपने धर्म में आस्था रखो, दूसरे की आस्था का सम्मान करो। जियो और जीने दो। इतनी सी बात है।
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और अल्लामा इकबाल की ये पंक्तियां कोई कैसे भूल सकता है-
है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
अहले वतन समझते हैं उसको इमाम ए हिन्द