कर्नाटक : मोदी है तो मुमकिन है…हार भी, खो गई खेल पलटने की ताकत

कर्नाटक : मोदी है तो मुमकिन है…हार भी, खो गई खेल पलटने की ताकत

कर्नाटक में भारी पराजय के बाद अब कैसे कहेंगे मोदी है तो मुमकिन है। कैसे कहेंगे मोदी जब मैदान में उतरेंगे, तो खेल पलट देंगे? राहुल ने क्या बताई आगे की दिशा?

कुमार अनिल

कर्नाटक परिणाम से पहले एक ईडिना सर्वे को छोड़ कर सभी टीवी चैनल इतना भर मान रहे थे कि कांग्रेस को (एज) बढ़त है, पर कोई नहीं देख पाया कि कर्नाटक में कांग्रेस को सिर्फ बढ़त नहीं, बल्कि उसकी लहर चल रही है। खबर लिखे जाने तक कांग्रेस को 137 सीटों पर आगे है, जबकि भाजपा 63 और जदएस 20 सीटों पर आगे है। अब दो-तीन सीटें आगे पीछे हो सकती हैं, लेकिन इससे ज्यादा परिवर्तन की उम्मीद नहीं है।

कर्नाटक चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को सीधा झटका लगा है। उन्होंने ही भाजपा के अभियान की सीधा नेतृत्व किया था। 25-25 किमी लंबा रोड शो किया, सभा में धार्मिक नारे तक लगाए, जो आचार संहिता का उल्लंघन है। अपनी सभाओं में देवताओं समान दिखनेवाले मुकुट पहने। रात-दिन गोदी मीडिया चीख रहा था कि मोदी है तो मुमकिन है। वे देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और हार को जीत में बदलने की ताकत रखते हैं। ये सब मुहावरे वर्षों में गढ़े गए थे, जो सारे कर्नाटक के मौदान में ध्वस्त हो गए।

अब यह मान लेना चाहिए कि मोदी है तो हार भी मुमकिन है। वे हर हार को जीत में बदलने का करिश्मा नहीं कर सकते। धर्म का नारा भी हर बार और हर जगह नहीं चलता। मोदी का जादू अब लोगों के सिर से उतरने लगा है। लोग महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार पर सवाल करने लगे हैं और इन सवालों से बचने के लिए धार्मिक नारों-उन्मादों को पहचानने लगे हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस की जात के बाद राहुल गांधी पार्टी मुख्यालय पहुंचे और प्रेस को संबोधित किया। उन्होंने सबसे ज्यादा जोर गरीबों पर दिया। कहा कि उनके पास क्रोनी कैपटलिज्म की ताकत थी और हमारे पास गरीबों की शक्ति थी। गरीबों की शक्ति जीत गई। उन्होंने गरीबों के लिए घोषित अपने पांच गारंटी की चर्चा की और कहा कि ये सब गारंटी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार देगी। साफ है उन्होंने भविष्य की राजनीति की दिशा बता दी। अब कांग्रेस गरीबों पर सबसे ज्यादा जोर देगी। निश्चित ही राहुल ने प्रेस से यह भी कहा कि देश नफरत की राजनीति पसंद नहीं करता और अब कर्नाटक में अनेक मोहब्बत की दुकानें खुल गई हैं। तो 2024 में लोकसभा चुनाव में कुछ भी हो सकता है। जो लोग मान कर चल रहे थे कि मोदी ही फिर जीतेंगे, उनका विश्वास हिल गया है।

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