कर्पूरी की पुण्यतिथि पर भी दिखा जदयू और राजद का फर्क
गांधी को स्वच्छता से जोड़ना आसान है, पर प्रतिरोध का प्रतीक बताना कठिन है। कर्पूरी को याद करने में भी फर्क दिखता है। जानिए पुण्यतिथि पर जदयू व राजद का फर्क ।
कुमार अनिल
समाजवादी धारा के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर अलग-अलग दलों ने उन्हें अपने-अपने ढंग से याद किया। आप किसी को किस रूप में याद करते हैं, इससे खुद आप कहां खड़े हैं, आप क्या चाहते हैं, यह भी पता चलता है। कर्पूरी ठाकुर को याद करने में भी पता चल जाता है कि आप आज की तारीख में कहां खड़े हैं।
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आज कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर जदयू और भाजपा दोनों ही दलों ने उन्हें औपचारिक ढंग से याद किया। कहा- सादगी के प्रतीक, वंचितों के नेता को शत-शत नमन। जदयू ने ट्विट किया-समाजवाद के पुरोधा को शत-शत नमन। भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा-वंचितों के मसीहा, सादगी की प्रतिमूर्ति कर्पूरी को कोटिशः नमन। ये बात आप 2011 में भी कह सकते थे, 2021 में भी कह सकते हैं। इससे पता नहीं चलता कि आज अगर कर्पूरी जीवित होते, तो वंचितों के लिए क्या करते, देश के बारे में क्या कहते। इससे कर्पूरी की वह विशेषता स्पष्ट नहीं होती, जिसके कारण वे दिग्गज समाजवादी नेता कहलाते हैं।
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उधर, राजद ने कर्पूरी ठाकुर को आज की चुनौतियों से जोड़ा। राजद कार्यालय में उन्हें याद करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कर्पूरी की विरासत को नागरिक अधिकार के लिए जारी संघर्ष से जोड़ा। ऐसा करते ही आज जारी किसान आंदोलन से लेकर अभिव्यक्ति के कारण हो रहे मुकदमे तक सामने आ जाते हैं।
राजद के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार मेहता का बयान और भी स्पष्ट है। उन्होंने कर्पूरी को याद करते हुए उन्हीं का कथन उद्धृत किया है-संसद के विशेषाधिकार कायम रहें, लेकिन यदि जनता के अधिकार कुचले जाएंगे, तो जनता भी संसद के विशेषाधिकारों को चुनौती देगी। आलोक मेहता ने कर्पूरी को अमूर्त ढंग से नहीं याद किया, बल्कि उन्हें आज की ठोस परिस्थियों के संदर्भ में याद किया।