प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को बिहार आ रहे हैं। खबर है कि उनसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दो दिनों के लिए बिहार में कैंप में करेंगे। वे चुनावी रैलियों को भी संबोधित करेंगे। इस बीच केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी नीतीश कुमार तथा भाजपा से नाराज हो गए हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जाहिर भी कर दी है। कहा कि उनकी इस प्रकार उपेक्षा की जा रही है, जैसे वे एनडीए के हिस्सा ही नहीं हों।

बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इसी महीने पहले राहुल गांधी आए, फिर सचिन पायलट ने सभा को संबोधित किया और अब जानकारी मिली है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दो दिनों के लिए बिहार आ रहे हैं। वे 19 अप्रैल को बक्सर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। दूसरे दिन 20 अप्रैल को वे पटना में रहेंगे तथा यहां भी सभा को संबोधित करेंगे।

कांग्रेस की नजर दलित वोटों पर है। नीतीश कुमार के साथ महादलितों का जो हिस्सा रहा है, उसमें भारी उहापोह है। यह खबर नीचे तक चली गई है कि आज की स्थिति में नीतीश कुमार के हाथ में वास्तव में सत्ता की बागडोर नहीं है। वे सिर्फ दिखावे के लिए हैं और सत्ता का संचालन भाजपा के अमित शाह कर रहे हैं। लोग यह भी मान रहे हैं कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार को भाजपा कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। इस स्थिति में दलित और अति पिछड़ों में उथल-पुथल है। कांग्रेस की कोशिश है कि इस वर्ग को भाजपा की तरफ जाने से किसी प्रकार रोका जाए तथा कांग्रेस की तरफ लाया जाए।

मल्लिकार्जुव खड़गे की बिहार के दलितों में पहले से पहचान है। उनके आने से पार्टी की कोशिशों को बल मिल सकता है। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को बना कर भी बड़ा दांव खेला है। वे भी लगातार दलितों के मुद्दे उठा कर उन्हें पार्टी से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

इस बीच एनडीए में जीतनराम मांझी नाराज हो गए हैं। उन्होंने 20 सूत्री कमेटियों में हम पार्टी के नेताओं को स्थान नहीं दिए जाने पर खुल कर नाराजगी जताई है। कहा कि जहां उनके विधायक हैं, वहां भी 20 सूत्री कमेटियों में उनके कार्यकर्ताओं को नहीं रखा गया है। लगता है कि वे एनडीए में हैं ही नहीं। हालांकि उनके नाराजगी जताने के बाद भी किसी भाजपा नेता ने उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की है।

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