किसान आंदोलन पर बीजेपी में बगावत, कद्दावर नेता ने मोदी को दी चुनौती
मेगालय के गवर्नर सतपाल मल्लिक ने आज सीधे भाजपा नेतृत्व को चुनौती दी। कहा, कुतिया के मरने पर शोक जताया जाता है, 250 किसान मर गए, लेकिन किसी ने दो शब्द नहीं कहा।
कुमार अनिल
भाजपा कोटे से मेघालय के गवर्नर सतपाल मलिक ने आज पार्टी को हिला देनेवाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि कुतिया के मरने पर भी नेता शोक जताते हैं, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे 250 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई और भाजपा के किसी नेता ने शोक तक नहीं जताया।
सतपाल मलिक भाजपा में शामिल होने से पहले समाजवादी पार्टी के साथ थे। 1989 से 1991 तक जनता दल के सांसद थे। आज उन्होंने खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन किया और कहा कि भाजपा जिस तरह किसान आंदोलन के साथ व्यवहार कर रही है, उससे पार्टी को भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का हल निकल सकता है। सरकार एमएसपी पर कानून बना दे।
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राज्यपाल ने किसानों की मौत पर भाजपा की चुप्पी की आलोचना करके दरअसल बिना नाम लिये केंद्रीय नेतृत्व नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि शोक तक न जता कर पार्टी ने पूरा मौदान विपक्ष के लिए खाली छोड़ दिया है।
जब संवादददाता ने पूछा कि आपको ऐसा बयान देते डर नहीं लगता, तो राज्यपाल ने कहा कि वे डरते नहीं। जिस दिन पार्टी को लगेगा कि मेरी जरूरत नहीं है, मुझे पद छोड़ने में एक मिनट नहीं लगेगा।
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राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत बुरी हालत है। उन्होंने कहा कि एक भाजपा नेता जब गांव में गए तो किसानों ने उन्हें जबरन गाड़ी में बैठाकर वापस कर दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि किसानों ने लात मारकर भगा दिया। खुद अपने बारे में कहा कि वे अपने गांव गए थे। पांच हजार लोग थे, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया।
सतपाल मलिक समाजवादी धारा के नेता रहे हैं, जिसकी परंपरा रही है कि गलत होने पर खुलकर विरोध करना, भले ही पार्टी से अलग होना पड़े। खबर लिखे जाने तक किसी भाजपा नेता ने गवर्नर की आलोचना नहीं की है। गवर्नर के बयान से भाजपा के भीतर का अंतरविरोध खुलकर सतह पर आ गया है। अब देखना है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व क्या कदम उठाता है।
बिहार में भी एक नया मुद्दा उठ खड़ा हुआ है। यहां विपक्ष ने बड़ा सवाल उठाया है। एक मंत्री के भाई के स्कूल में शराब की खेप पकड़ गई, लेकिन मंत्री के भाई से पूछताछ तक नहीं की गई। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि काश, बिहार भाजपा में भी कोई सतपाल मलिक जैसा नेता होता, जो बिहार भाजपा को सच का सामना करने के लिए खुलकर बोलता।