किसानों को आंतकी बताने के खिलाफ मैदान में उतरा राजद
आंदोलन में तोड़फोड़ होने पर किसानों को आतंकी, खालिस्तानी बताना क्या उचित है? उन्हें बदनाम करने के खिलाफ राजद सांसद मनोज झा, संजय यादव मैदान में उतरे।
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कुमार अनिल
पिछले दो महीने से शांतिपूर्ण ढंग से किसानों का चल रहा आंदोलन आज उग्र हो गया। किसी भी आंदोलन के उग्र होने का कोई समर्थन नहीं कर सकता, लेकिन इसकी आड़ में जिस तरह फिर से किसानों को खालिस्तानी बताने की कोशिश की जा रही है, उसके खिलाफ राजद के कई बड़े नेताओं ने खुलकर बयान दिया है।
राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा किसानों को बदनाम करने की शुरू हुई कोशिश के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वालों में एक थे। उन्होंने वीडियो जारी करके कहा कि दिल्ली में किसान परेड के दौरान जो कुछ हुआ, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता। इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि कई बार किसी आंदोलन को बदनाम करने के लिए भी बाहरी लोग जानबूझ कर हिंसा फैलाते हैं।
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राजद सांसद मनोज झा ने दृढ़ शब्दों में कहा कि किसान दो महीने से संघर्ष कर रहे हैं। एकालाप को वार्तालाप बताने की सरकार कोशिश करती रही। किसान चांद नहीं मांग रहे हैं, लेकिन उनके साथ जिस तरह से बात की गई, जैसे लगता हो कि राजतंत्र कायम हो गया है। सांसद मनोज झा ने कहा कि एक घटना से पूरे किसान आंदोलन को आप बदनाम नहीं कर सकते। किसान मोर्चा ने भी रैली के दौरान हुई हिंसा को सही नहीं बताया है।
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उधर बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव ने लगातार कई ट्वीट करके किसानों को बदनाम करने की कोशिश की आलोचना की। संजय यादव ने गोदी मीडिया की भूमिका पर कहा कि उसकी रिपोर्टिंग तय रूट से हो रही है। उन्होंने सवाल भी उठाया कि किसान आंदोलन को बदनाम करने के बजाय क्राइसिस मैनेजमेंट नहीं होना चाहिए था? हाल के सरकार विरोधी आंदोलन बताते हैं कि हुड़दंग कौन करता है।
संजय यादव ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि टीवी पर किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, उपद्रवी और गुंडे कहने से समाधान नहीं होगा। एंकरों पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि आज अगर भगत सिंह होते, तो ये गोदी मीडिया उन्हों क्या उपाधि देती, यह समझा जा सकता है।
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राजद नेता ने गोदी मीडिया पर कहा कि 150 से ज्यादा किसानों की मौत हुई, लेकिन इन एंकरों और इनके हुक्मरानों ने एक शब्द नहीं कहा।