किशनगंज एकमात्र सीट है, जहां 2019 में विपक्ष का प्रत्याशी जीता था। यहां कांग्रेस के डॉ. मो. जावेद को जीत मिली थी। इस बार भी वे कांग्रेस प्रत्याशी हैं। यहां से जदयू के प्रत्याशी हैं मुजाहिद आलम। ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रत्याशी हैं विधायक अख्तरुल इमान। वे पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। क्षेत्र में चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है। कांग्रेस संविधान और लोकतंत्र बचाने तथा कांग्रेस के पांच न्याय को केंद्र में रखकर चुनाव प्रचार कर रही है। जदयू प्रत्याशी को प्रधानमंत्री मोदी के करिश्मा पर भरोसा है। वहीं AIMIM को तीन सवाल परेशान कर रहे हैं।

नौकरशाही डॉट कॉम ने Kishanganj के मतदाताओं का मिजाज जानने के लिए गुरुवार को विभिन्न लोगों से संपर्क किया, तो मालूम हुआ कि AIMIM के प्रति तीन सवाल उठ रहे हैं। पहला तो यह कि क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी को आम लोग भाजपा की टीम कह रहे हैं। नौकरशाही डॉट कॉम ने पूछा कि भाजपा की बीटीम किस प्रकार है, तो जवाब रोचक मिला। लोगों ने कहा कि दो-दो मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार के इशारे पर जेल में डाल दिया गया है। विपक्ष के नेताओं को बार-बार ईडी के नोटिस मिलते हैं। छापेमारी होती है, लेकिन आज तक ओवैसी को ईडी-सीबीआई का नोटिस नहीं मिला। इसकी क्या वजह है?

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Kishanganj के मतदाताओं का दूसरा सवाल यह है कि विपक्ष का काम होता है सत्ता के खिलाफ आवाज उठाना। हर जगह विरोध की आवाज को दबाया जा रहा है। पूरा विपक्ष मोदी सरकार से लड़ रहा है, लेकिन ओवैसी की पार्टी कांग्रेस से लड़ रही है। इसकी क्या वजह है? और तीसरा सवाल भ्रष्टाचार से जुड़ा है। मुद्दा यह नहीं है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से कई दलों को चंदा मिला, सवाल यह है कि छापेमारी, नोटिस के बाद चंदा दिया गया, चंदा दिया गया और फिर ठेका मिल गया और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस कंपनी का फायदा पांच करोड़ है, वह सैकड़ों करोड़ चंदा कैसे दे सकती है। विपक्ष का कहना है कि इसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन ओवेसी कभी इस सवाल को नहीं उठाते।

याद रहे 2019 लोकसभा चुनाव में यहां से एमआईएम के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर थे।

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