कोलकाता की ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या के खिलाफ शुक्रवार को पटना में विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में छात्र संगठन आइसा, महिला संगठन एपवा सहित कई संगठन के कार्यकर्ता शामिल थे। वे दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहे थे। कोलकाता रेप कांड के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। बिहार के बड़े अस्पतालों में आज डॉक्टरों ने ओपीडी को ठप करके अपना विरोध जताया।

छात्र संगठन आइसा ने बताया कि कोलकाता और पारू (मुजफ्फरपुर) के बलात्कार व निर्मम हत्या के खिलाफ सभी महिला संगठनों की ओर से प्रतिवाद दिवस बुद्ध स्मृति पार्क शाम छ: बजे मनाया गया। कैंडल जलाकर कर कोलकाता की डॉक्टर और मुजफ्फरपुर की छात्रा के निर्मम हत्या पर श्रद्धांजलि दी गई। बलात्कार और निर्मम हत्या से देश अभी उबरा भी नही था कि पारू में दलित नाबालिग छात्रा के साथ एकबार फिर बलात्कार जैसी वीभत्स घटना ने देशवासियों को झकझोर दिया है।

इस प्रतिवाद दिवस का संचालन ऐपवा के राज्य सचिव अनिता सिन्हा ने किया। यहां जनसंस्कृति मंच द्वारा जनवादी गीत प्रस्तुत की गई।

ऐपवा राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, राष्ट्रीय महासचिव स्कीम वर्कर्स फेडरेशन सह विधान परिषद सदस्य शशि यादव, अनिता सिन्हा, बिहार महिला समाज से निवेदिता झा, इंसाफ मंच से अफशा जबीं, एएसवाईएफ से आस्मां खान, एआईएमएसएस से अनामिका मौलिक अधिकार महिला मंच से अख्तरी बेगम, एडवा से सुनिता कुमारी, दलित महिला मंच से प्रतिभा कुमारी, इप्टा से सुष्मिता सामाजिक कार्यकर्ता तबस्सुम अली, दिव्या गौतम, चंद्रकांता, अनुराधा, आइसा से प्रीति, मोना झा इस सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहां कि देश में अंधी, गुंगी और बहरी सरकार है, जिसे महिलाओं पर हो रहे जुल्म और अत्याचारों का बिल्कुल पता नही चल रहा है। हर घंटे में चार महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं। हर क्षण महिलाएं अपनी अस्मत को बचाने की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन महिला विरोधी केन्द्र और राज्य सरकार इन जघन्य अपराधों के प्रति बिलकुल संवेदनहीन हो चुकी है। इसीलिए अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है सरकार और प्रशासन को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनका हर कदम महिलाओं की सुरक्षा और त्वरित न्याय दिलाने से जुड़ा हुआ है, तभी कानून का राज वास्तव में स्थापित हो सकेगा और लोगों का विश्वास मजबूत होगा।

आज हमारा देश अर्धनग्न मालूम पड़ रहा है। जहां देखा जाए वहां जघन्य और दिल दहला देनेवाली घटनाएं दिखाई दे रही हैं। इस घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि सभ्य समाज केवल एक कोरी कल्पना है। हमारा वास्तविक समाज महिलाओं को लेकर अराजक हो गया है। शायद महिलाओं का सम्मान अब किताब के पन्नों में ही सिमटकर रह गया है। तभी तो बच्चियों से लेकर मां तक असुरक्षित हो चुकी हैं। कोई ऐसी जगह नहीं है जहां महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें। ऐसे माहौल में हमारी मांग है कि महिलाओं के अपराध से जुड़े मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए। अपराधियों को ऐसी सजा दी जाए जिससे फिर किसी को अपराध करने की हिम्मत न हो सके। बलात्कारी और दोषियों को सरकार और पुलिस प्रशासन संरक्षण देती है जिसके कारण एक छोटी बच्ची रूपा अपनी अस्मत को बचाने की लड़ाई में जिंदगी से हार गई। इस घटनाओं से महिलाएं बिलकुल अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। अब पुलिस- प्रशासन का दरिंदगी और हैवानियत करनेवालों को बिलकुल खौफ नहीं है, तभी तो वे बेख़ौफ़ होकर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। सरकारों की निरंकुशता के कारण आम-आदमी का शासन और प्रशासन पर से विश्वास उठता जा रहा है। न्याय पाने की प्रणाली इतनी कठिन और संकीर्ण हो चुकी है कि पीड़ित और टूट जाते हैं।

इधर पटना पीएमसीएच, दरभंगा के डीएमसीएच सहित सभी बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों ने कोलकाता रेप और हत्या कांड के खिलाफ प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने सभी बड़े अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप कर दी।

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इस बीच प्रियंका गांधी ने आज फिर उक्त रेप कांड के खिलाफ आवाज उठाई। कहा कि कोलकाता, बिहार, उत्तराखंड और यूपी में महिलाओं के साथ हुई क्रूरताओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस समय देश भर की महिलाएं दुख और गुस्से में हैं। जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं तो देश की महिलाएं देखती हैं कि सरकारें क्या कर रही हैं? उनकी बातों और उपायों में कितनी गंभीरता है? जहां भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त संदेश देने की जरूरत हुई, वहां आरोपियों को बचाने की कोशिशें की गईं। महिलाओं पर जघन्य अत्याचार के मामलों में बार-बार नरमी बरतना, आरोपी को राजनीतिक संरक्षण देना और सजायाफ्ता कैदियों को जमानत/पैरोल देने जैसी हरकतें महिलाओं को हतोत्साहित करती हैं। इससे देश की महिलाओं में क्या संदेश जाता है? जब सरकारी आंकड़ों में हर दिन 86 रेप हो रहे हों, महिलाएं सुरक्षा की आशा किससे करें?

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By Editor


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