कांग्रेस के नए बिहार प्रभारी कृष्णा अलावरु गुरुवार को पहली बार पटना पहुंचे। इस असवर आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए दो टूक लहजे में कहा कि जो जमीन पर काम करेगा, उसे संगठन में महत्व मिलेगा। ऐसे ही लोगों को टिकट भी मिलेगा। उन्होंने नारा दिया लड़ेंगे, जीतेंगे। कहा कि बिहार में लड़ाई होगी, लेकिन वह लड़ाई सदाकत आश्रम में नहीं होगी, गांव-गांव में होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे अगले हफ्ते से बिहार का दौरा करेंगे।
कांग्रेस प्रभारी ने इस बात पर काफी जोर दिया कि दिल्ली और पटना का चक्कर लगाना छोड़ दीजिए। गांव और बूथ का चक्कर लगाइए। उनका पूरा जोर संगठन को जमीन पर खड़ा करने को लेकर था। इससे वे कांग्रेसी परेशान दिखे, जो नेताओं के आगे-पीछे हमेशा दिखने में भरोसा करते हैं।
कांग्रेस प्रभारी ने गुटबाजी पर भी हमला किया। कहा कि संगठन में मतभेद होते हैं। लेकिन एक लक्ष्मण रेखा होती है। अगर किसी ने उस लक्ष्मण रेखा को पार करने की कोशिश की तो उसे बाहर कर दिया जाएगा।
उन्होंने अपने राजनीति सफर की कहानी भी सुनाई। बताया कि किस प्रकार वे नेताओं से मिलने के लिए दरवाजे के बाहर खड़े रहते थे। मिलना मुश्किल था। लेकिन मैं काम करता गया। इशारों में ही उन्होंने साफ कर दिया कि कांग्रेस नेताओं को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी। उसे सम्मान देना होगा, जो जमीन पर काम करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि हमने शादी के घोड़े को रेस में लगा दिया र रेस के घोड़े को शादी में भेज दिया। कहा कि ऐसा नहीं होगा। जो भी रेस के घोड़े हैं, वे जितना रेस में भाग सकते हैं, भागो। इशारों में उन्होंने बता दिया कि जो पुराने नेता हैं, नाम बड़े हैं, पर जमीन से नहीं जुड़े हैं, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा। चुनावी रेस में रेस के घोड़ों को ही टिकट मिलेगा।