लालू ने सुनाई कर्पूरी की मृत्यु की कहानी, मेरी गोद में ली थी अंतिम सांस
लालू ने सुनाई कर्पूरी की मृत्यु की कहानी, मेरी गोद में ली थी अंतिम सांस। जन्मशती पर जुटे हजारों लोग भावुक। बताया तब कितनी कठिन थी पिछड़ों के हक की लड़ाई।
दिग्गज समाजवादी नेता तथा जननायक कर्पूरी ठाकुर की सौवीं जयंती पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने वह पूरी कहानी बयां कि किस प्रकार कर्पूरी जी ने उनकी गोद में अंतिम सांस ली थी। वे जब उस समय की एक-एक बात बता रहे थे, तब समारोह में शामिल हजारों लोग भावुक हो गए। राजद अध्यक्ष पार्टी द्वारा पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
लालू प्रसाद ने बताया कि सत्तर और अस्सी के दशक में पिछड़ों के हक की बात करना कितना कठिन था। कर्पूरी जी ने हक की लड़ाई लड़ी। तब उन्हें गालियां सुननी पड़ी। विधानसभा अध्यक्ष शिवचंद्र झा ने भी उन्हें प्रताड़ित किया। वे बीमार थे। हम जब उनके आवास पहुंचे, तो कर्पूरी जी की स्थिति ठीक नहीं थी। उनके पास कोई गाड़ी नहीं थी। हरियाणा के समाजवादी नेता देवी लाल ने बिहार के साथियों को एक जीप दी थी। ड्राइवर भी नहीं था। किसी तरह जीप को मंगाया गया। इस बीच मैंने कर्पूरी जी के सिर को अपनी गोद में लिया। उनके दोनों बेटे भी वहीं थे। मैंने रामनाथ ठाकुर से कहा कि वे छाती मलें और दूसरे बेटे वीरेंद्र से कहा कि वे तलवा को रगड़ें। कर्पूरी जी के मुंह से सफेद झाग जैसा निकल रहा था। हम उसे पोंछते जा रहे थे।
थोड़ी देर में जीप भी आ गई। मैंने कर्पूरी जी को जीप में लिटाया। अपनी गोद में उनका सिर रखा और जल्दी-जल्दी पीएमसीएच पहुंचे। इस बीच कर्पूरी जी की स्थिति बिगड़ती जा रही थी। हम उन्हें लेकर दौड़ते हुए पीएमसीएच के बरामदे में पहुंचे। डॉक्टर ने वहीं देखा और कहा कि अब कर्पूरी ठाकुर नहीं रहे। हमसब उनके पार्थिव शरीर को लेकर उनके आवास पर पहुंचे। उनके निधन की खबर से बिहार में हाहाकार मच गया। गरीब चीख-चीख कर रो रहे थे। अंत में उन्हें हम बांस घाट लेकर गए, जहां अंतिम संस्कार किया गया। हजारों लोग जुटे थे। कोई रो रहा था, कोई मायूसी में डूबा था। वहीं हमने कसम ली कि कर्पूरी तेरे अरमानों को दिल्ली तक पहुंचाएंगे। उसके बाद यह नारा पूरे बिहार के गरीबों का नारा बन गया।
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