पहला तीर खाली गया तो विधानसभा में खेला कर सकते हैं लालू
पहला तीर खाली गया तो विधानसभा में खेला कर सकते हैं लालू। राजद को सिर्फ आठ विधायकों की जरूरत है। अभी बिहार में पिक्चर खत्म नहीं हुई है।
कुछ ही दिनों पहले नीतीश कुमार ने कहा था कि मर जाना पसंद करूंगा, लेकिन भाजपा के साथ अब नहीं जाऊंगा। उन लोगों ने मेरे साथ क्या-क्या नहीं किया। फिर बगल में खड़े तेजस्वी यादव की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि इनके पिता जी को फंसा दिया। कुछ भी हो जाए उनके साथ जाने का सवाल ही नहीं है। अब वही नीतीश कुमार फिर से भाजपा के साथ जा सकते हैं। लेकिन क्या वे इस बार सफल होंगे, यह सवाल भी गूंज रहा है। इस बार स्थिति भिन्न है। राजद को सिर्फ आठ विधायकों की जरूरत है। इसीलिए बिहार में पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है।
थोड़ी देर पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में रहे तो प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं। उन्हें भाजपा के साथ नहीं जाना चाहिए। इधर बिहार में अभी खेल खत्म नहीं हुआ है। अगर लालू प्रसाद नीतीश कुमार को भाजपा के साथ जाने से नहीं रोक पाए, तो भी उनके पास एक और दांव बचता है, जो बड़ा दांव है और सबकी उस पर नजर है। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पुराने समाजवादी नेता हैं। लालू के खास करीबी नेता हैं। उनकी भूमिका बढ़ जाएगी। राजद को सिर्फ आठ विधायकों की जरूरत है। खबर है कि जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन को उप मुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया गया है। दो निर्दलीय हैं। इसके अलावा जदयू के एक विधायक खुलेआम नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाने का विरोध कर चुके हैं। अगर जदयू के चार-पांच विधायकों ने इस्तीफा दे दिया या नीतीश कुमार से अलग ग्रुप की मांग कर दी, तो नीतीश कुमार का दांव बुरी तरफ फेल हो सकता है।
नीतीश कुमार ने एक तो रिकॉर्ड बना दिया है। जिसके साथ कभी नहीं जाने की कसमें खा चुके, मर जाऊंगा लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे कह कर फिर भाजपा के साथ जा सकते हैं। उनकी जुबान पर अब कोई भरोसा नहीं करेगा। वे राजनीतिक अवसरवाद के शीर्ष पुरुष बन गए हैं।
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