इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

बिहार में पहले चरण का मतदान शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस चरण के मतदान के साथ ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा छिड़ गई है कि नीतीश कुमार तथा लालू प्रसाद पर्दे के पीछे एक हो गए हैं। चारों सीटों में भाजपा की हालत खराब होने की खबरों के पीछे माना जा रहा है लालू और नीतीश का खेला ही है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने 2020 के चिराग मॉडल का बदला ले लिया। तब भाजपा ने चिराग पासवान को पर्दे के पीछे से समर्थन दिया था और उसी दम पर चिराग पासवान ने जदयू की सीटों पर प्रत्याशी देकर नीतीश कुमार का कद तीसरे नंबर पर पहुंचा कर छोटा कर दिया था।

लालू और नीतीश के पर्दे के पीछे एक होने की चर्चा का आधार यह है कि पहले चरण की चार में दो सामान्य सीटें थीं। दोनों ही सीटों पर राजद ने कुशवाहा प्रत्याशी दिया। खबर है कि नवादा और औरंगाबाद में कुर्मी मतदाता भी राजद के कुशवाहा प्रत्याशी के साथ हो गया। दोनों सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी हैं। इन दोनों क्षेत्रों में लव-कुश एकता बन गई। इस एकता के कारण भाजपा दोनों सीटों पर पिछड़ती दिख रही है। यह लव-कुश एकता जमुई और गया सीटों पर भी दिखी। इस एकता ने जमुई और गया में भी खेला कर दिया है।

उधर समस्तीपुर में जदयू के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को लोजपा से टिकट दिलवाया गया। कहा जा रहा है कि यह बिना नीतीश कुमार की सहमति के नहीं हो सकता। समस्तीपुर में शांभवी को बाहरी प्रत्याशी होने के कारण शुरुआत से ही संकट का सामना करना पड़ रहा है। उधर कांग्रेस से हजारी परिवार के सदस्य को टिकट मिलने की संभावना है। लोजपा के खाते वाली जमुई और समस्तीपुर दोनों सीटें संकट में हैं।

चिराग मॉडल का बदला लेने की चर्चा के पीछे एक तथ्य यह भी है कि नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करने से मना कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के पिछले दौरे में नीतीश कुमार दूर-दूर रहे। स्पष्ट है कि दोनों में खटास बढ़ गई है।

यहां यह भी याद रखना चाहिए कि इंडिया गठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने के बाद भी तेजस्वी यादव ने कभी नीतीश कुमार के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। हमेशा उन्हें सम्मानित अभिभावक ही कहा।

पहले चरण के चुनाव में बंगाल में सबसे अधिक, बिहार में सबसे कम मतदान

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