लालू स्टाइल में तेजस्वी ने डीएम को किया फोन, लूटी महफिल
लालू स्टाइल का अर्थ है सीधे जनता से संवाद। जनता की पीड़ा दूर करने के लिए सीधे अधिकारी को फोन। आज वही काम तेजस्वी ने किया, फिर क्या हुआ?
कुमार अनिल
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जनता से सीधे संवाद करने के मामले में बेजोड़ रहे हैं। लोगों की पीड़ा, परेशानी दूर करने के लिए वे सीधे डीएम और एसपी को फोन करते रहे हैं। लोगों के सामने ही तत्काल समस्या दूर हो जाती थी। आज विपक्ष के नेता कुछ उसी अंदाज में दिखे। उन्होंने सीधे पटना के डीएम को फोन लगाया और फिर जो हुआ, उसे आंदोलनकारी शिक्षक अभ्यर्थी कभी नहीं भूल पाएंगे।
पिछले कई दिनों से राज्य के 94000 शिक्षक अभ्यर्थी पटना के गुलजारबाग स्थित धरना स्थल पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। दो दिन पहले रात में पुलिस ने न सिर्फ उनपर लाठीचार्ज किया, बल्कि उनके सारे सामान को फेंक दिया। पंडाल को भी उखाड़ दिया। शीतलहरी में भी इन युवाओं को रात खुले आकाश के नीचे बितानी पड़ी।
दूसरे दिन सारे आंदोलनकारी इको पार्क में जमा हो गए। वे आंदोलन को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाए, इसे लेकर परेशान थे। पुलिस की इजाजत से धरना दे रहे थे, अब वहां से भगा दिया गया, तो कहां जाएं। मालूम हो कि गुलजारबाग में धरना स्थल के लिए खुद सरकार ने स्थान दिया है। पहले लोग बेली रोड पर धरना दिया करते थे।
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शिक्षक अभ्यर्थियों की परेशानी की जानकारी तेजस्वी को मिली। उन्हें मालूम हुआ कि आंदोलनकारी इको पार्क में जमा हैं, तो तेजस्वी यादव सीधे उनके बीच पहुंच गए। लोगोॆ को नेताओं से मिलने के लिए पहले टाइम लेना पड़ता है, यहां नेता खुद ही चलकर उनके बीच पहुंच गया था। आंदोलनकारियों में जोश आ गया। उन्होंने पुलिस की बर्बरता की पूरी कहानी बयां की।
आंदोलनकारियों के साथ हुए अन्याय को सुनकर तेजस्वी ने सीधे पटना के डीम को फोन किया। डीएम ने फोन उठाया। तेजस्वी ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी पुलिस से परमिशन लेकर गुलजारबाग में धरना दे रहे थे। उनपर लाठी बरसाई गई, उन्हें वहां से भगा दिया गया। डीएम को तबतक मालूम नहीं था कि फोन करनोवाला कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि तेजस्वी यादव हैं। डीएम ने चलताऊ अंदाज में जवाब दिया कि भेज दीजिए। देखते हैं।
इस पर आंदोलनकारियों ने तेजस्वी से कहा कि आप अपना नाम डीएम को बताइए। तेजस्वी ने शालीनता से फोन पर कहा कि मैं तेजस्वी यादव बोल रहा हूं। इतना सुनते ही डीएम की आवाज बदल गई। वे सर-सर-सर बोलने लगे। मोबाइल का स्पीकर आन था। डीएम की सर-सर की आवाज सुनकर आंदोलनकारी युवाओं में जोश भर गया। ठहाके भी लगे और तेजस्वी जिंदाबाद के नारे भी।