लालू प्रसाद का जन्म दिन: जानिये राजनीतिक सफर के कुछ अहम पहलू

लालू प्रसाद का जन्म दिन: जानिये राजनीतिक सफर के कुछ अहम पहलू

जैन शहाब उस्मानी

समाजिक न्याय के मसीहा लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति के  बहुचर्चित बिहारी नेता हैं और जिनका  प्रभाव समूचे उत्तर भारत में है. लालू  अब 71 साल के हो चुके हैं.

गोपालगंज ज़िले के फुलवरिया गाँव में एक ग़रीब यादव परिवार में जन्मे. स्कूलिंग के बाद पटना युनिवर्सिटी से स्नातक और कानून की पढ़ाई की और साथ ही छात्र जीवन में ही  राजनीति में काफी सक्रिय रहे और पटना यूनिवर्सिटी क्षात्र यूनियन का चुनाव जित कर प्रेसीडेंट भी रहे|
 

इंदिरा के विरोध ने दिलाई पहचान

 
तब देश में इंदिरा गांधी का विरोध शुरू हो चुका था. लालू यादव भी जेपी के साथ आंदोलन में शामिल हो गए और फिर जब इंदिरा गांधी ने देश में एमरजेंसी लगा दी और पूरे देश में नेताओं के साथ हजारों आंदोलनकारियों को भी जेल में बंद कर दिया गया जिसमें लालू जी भी जेल चले गए और जब एमरजेंसी खत्म हुई और 1977 के लोकसभा चुनाव में जेपी के अगुआई में जनता पार्टी को जीत मिली तो कांग्रेस पहली बार देश के सत्ता से बाहर हो गई तब लालू प्रसाद यादव 29 वर्ष के युवा सांसद के तौर पर सारण लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे|
 
 

90 के दशक में बढ़ा प्रभाव

 
फिर शुरू हुआ बिहार में लालू प्रसाद यादव जी का राजनीतिक सफर 1980 से 1989 तक 2 बार बिहार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे| फिर बिहार में सत्ता बदली और साल 1990 में लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बन गए और फिर खुद को समाजिक न्याय के मसीहा के तौर पर अपनी छवि बनाई.
बिहार के सत्ता में पिछड़ों का प्रतिनिधित्व बढ़ा और बिहार की राजनीति में पूर्ण रूप से बदलाव आ चुका था जो राजनीति स्वर्णों के इर्द-गिर्द घूमती थी वह अब नए रूप में पिछड़ों और वंचितों के इर्द-गिर्द घूमने लगी और अबतक घूम रही है इस समाजिक न्याय के आन्दोलन का ही ये नतीजा है कि आज नीतीश कुमार  मुख्यमंत्री हैं और एक समय आया के जीतन राम मांझी भी बिहार के मुख्यमंत्री बने इस बदलाव के बाद बिहार में बहुत सारे नेता निकले.
 
 
 
लालू प्रसाद यादव यादव 1990 से लेकर 2005 तक अकेले अपने दम पर बिहार के सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रहे जिसके मुख्य कारण मुस्लिम-यादव के ठोस जनाधार और अन्य पिछड़ी जातियों के सहयोग से अपनी चुनावी रणनीति किसी तरह बनाए रखने में लालू कामयाब होते रहे| आज भी लालू प्रसाद यादव के पास एक मज़बूत जनाधार है बिहार के अंदर जो और किसी दल या नेता के पास नहीं है जिसका उदाहरण 2004 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में दिखाई दिया है और फिर 2015 के विधानसभा चुनाव में जब-जब लालू यादव कमज़ोर हुए और फिर खुद को किंगमेकर के रूप में दिखाया के अब भी लालू यादव के पास जनाधार है |
 

लालू का अंदाज

अपनी बात कहने का लालू यादव जी का खास अन्दाज है। उन्होंने  चरवाहा स्कूल की शुरुआत की. हालांकि उनका यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं रहा. दलितों की बस्तियों में जाकर बच्चों को अपने हाथों से नहलाने का काम रहा हो लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे या फिर अपने विरोधियों पर हमला करना हो वो अपने अलग अंदाज़ और अलग तेवर में किसी को भी नहीं छोड़ते हैं. अबतक देश भर में लालू यादव  की छवि एक मज़बूत सेक्युलरवादी और भाजपा विरोधी नेता की रही लालू प्रसाद यादव को उनकी इसी छवि ने समाजिक न्याय का मसीहा बना दिया.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427