पिछड़ों-दलितों के आरक्षण लूट पर भाजपा घिर गई है। लोजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने लैटर इंट्री के नाम पर सरकार के उच्च पदों पर नियुक्ति का खुल कर विरोध कर दिया है। याद रहे केंद्र सरकार ने संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक के 45 पदों के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला, जिसमें पिछड़े-दलितों को एक भी पद पर आरक्षण नहीं दिया गया। अगर पुराने नियमों के तहत इन पदों पर आईएएस की नियुक्ति होती, तो आरक्षित वर्ग को 23 पद मिलते। विपक्ष ने इसे संविधान द्वारा दिए आरक्षण की लूट बताया है। अब पहली बार एनडीए में भी फूट पड़ गई है। चिराग पासवान ने बिना आरक्षण दिए इन पदों पर नियुक्ति को पूरी तरह गलत बताया है। कहा कि वे सरकार में इस तरह की नियुक्ति का विरोध करेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन प्रकाशित करके प्रतिभाशाली और योग्य भारतीयों से लैटरल इंट्री के माध्यम संयुक्त सचिव, उप सचिव तथा निदेशक पदों के लिए आवेदन मांगा था। इसमें आरक्षित वर्गों के लिए कोई सीट निर्धारित नहीं की गई है। इंडिया गठबंधन के दलों कांग्रेस, राजद तथा सपा ने इसका पुरजोर विरोध किया है। इसे बाबा साहेब के संविधान से दिए गए आरक्षण के अधिकार पर हमला कहा है। अखिलेश यादव ने तो विरोध में आंदोलन करने की भी चेतावनी दे दी है।
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लोजपा प्रमुख चिराग पासवान एनडीए के पहले नेता हैं, जिन्होंने लैटरल इंट्री का विरोध किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी तक इस मामले में चुप हैं। जदयू के भी किसी नेता ने इस मामले में मुंह नहीं खोला है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू ने भी इस मामले में कुछ नहीं कहा है। अब जबकि चिराग पासवान ने विरोध कर दिया है, तो माना जा रहा है कि एनडीए के और भी दल विरोध कर सकते हैं। इससे पहले वक्फ एक्ट में संशोधन के सवाल पर भी चिराग पासवान ने खुल कर विरोध किया था।