मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू भयानक संकट में फंस गई है। 45 संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक के पदों के लिए निकली वैकेंसी में पिछड़े, दलितों को एक भी आरक्षण नहीं दिया गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने आरक्षण के नियमों की धज्जी उड़ा कर पिछड़े, दलितों तथा ईडब्ल्यूएस के 23 पदों को लूट लिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव तथा बिहार में तेजस्वी यादव ने लैटरल इंट्री के जरिये आरक्षण की लूट का विरोध किया है। नीतीश कुमार अब तक इस पर चुप हैं। आरक्षण में लूट का मुद्दा देशव्यापी बनता जा रहा है और नीतीश कुमार फंस गए हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा तथा आरएसएस का विरोध नहीं किया, तो पिछड़े तथा दलितों की नाराजगी तय है।
पिछले दिनों वक्फ एक्ट में संशोधन बिल का जदयू ने लोकसभा में समर्थन किया, जिससे मुसलमानों में नीतीश कुमार से भारी नाराजगी पैदा हो गई। अब आरक्षण में लूट के मामले में नीतीश कुमार फिर फंस गए हैं।
राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है।
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तेजस्वी यादव ने कहा मोदी सरकार बहुत ही व्यवस्थित, पद्धतिबद्ध, योजनाबद्ध और शातिराना तरीके से आरक्षण को समाप्त कर रही है। विगत चुनाव में प्रधानमंत्री जदयू नेता छाती पीट-पीटकर दावा करते थे कि आरक्षण को कोई समाप्त नहीं कर सकता लेकिन अद दिन दहाड़े वंचित, उपेक्षित और गरीब वर्गों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है।
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