कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा राजद के विरोध के आगे केंद्र की एनडीए सरकार को झुकना पड़ा है। पिछड़े तथा दलितों के आरक्षण की लूट का फैसला सरकार को वापस लेना पड़े है। केंद्र सरकार ने लैटरल इंट्री का फैसला वापस ले लिया है। तीन दिन पहले यूपीएससी ने संयुक्त सचिव, उप सचिव तथा निदेशक के 45 पदों के लिए वैकेंसी निकाली, जिसमें एक भी आरक्षित पद नहीं था। विपक्षी दलों के विरोध के बाद मोदी सरकार ने उस निर्णय को वापस ले लिया है। इधर तेजस्वी यादव ने फिर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग में 368 पदों की वैकेंसी का मामला उठाया, जिसमें सारे पद अनारक्षित हैं।
वक्फ एक्ट में संशोधन वाले बिल पर पीछे हटने के बाद लैटरल इंट्री के सवाल पर भी सरकार को झुकना पड़ा है। इससे विपक्षी दलों तथा सामाजिक न्याय की शक्तियों में खुशी देखी जा रही है। यहां तक कि चिराग पासवान ने भी सरकार के निर्णय पर खुशी जताई है।
इधर बिहार विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक नया सवाल उठा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- में लैटरल एंट्री के बाद अब संविधान और आरक्षण विरोधी मोदी सरकार ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग अंतर्गत विज्ञापित पदों की नियुक्ति में भी एकल पद के तहत विज्ञापन प्रकाशित कर और यह लिखकर कि – (अर्थात् सभी रिक्तियां अनारक्षित हैं“) दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया है।
कथित नकली प्रधानमंत्री और अप्रभावी कृषि मंत्री के हाथों अब कृषि विभाग की नियुक्तियों में भी आरक्षण समाप्त करवा रही है। क्या नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जीतनराम माँझी दलित-पिछड़ों की इस हकमारी के विरुद्ध कुछ बोलेंगे?
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हेमंत को धोखा देकर बुरे फंसे चंपई
राहुल गांधी ने कहा- संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं – 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।
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