कोर्ट ने भी चिराग को किया बेसहारा, Symbol बचना मुश्किल
लोकजनशक्ति पार्टी चिरगा गुट को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बेसहारा कर दिया है.अदालत ने उनकी याचिकका खोरिज कर दिया. प्रतीत होता है का बंगाला चुनाव चिन्ह भी छिन जायेगा.
चिराग ने स्पीकर के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें लोक सभा स्पीकर ने पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दी थी.
कोर्ट ने कहा है कि याचिका बिना मेरिट के ही दाखिल किया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट में आज चिराग पासवान की याचिका पर सुनवाई की गई. याचिका में कहा गया था कि स्पीकर ने पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता बनाया है, जो गैरकानूनी है. कोर्ट ने चिराग पासवान की याचिका को खारिज कर दिया है
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक लोजपा वकील एके वाजपेई कहा कि पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और पत्र लिखकर संसदीय दल के नेता बन गए, जिसे स्पीकर नहीं मान्यता दे दी है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आप स्पीकर के फैसले को किस आधार पर चुनौती देना चाहते हैं?
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी भारत सरकार की ओर से पेश हुए. उन्होंने कहा कि स्पीकर ने नियम के तहत ही पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने का निर्णय लिया. चिराग पासवान का तर्क था कि पांचों सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है.
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इसपर कोर्ट ने कहा राजनीतिक मामला है और आप चुनाव आयोग जाइए.
दर अशल लोक जनशक्ति पार्टी में पिछले महीने पांच सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में अलग हो गये. उसके दूसरे दिन ही लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता स्वीकार कर लिया.
अब अदालत के बाद यह लड़ाई चुनाव आयोग पहुंचना तय है. जहां तकनीकी रूप से शायद ही चिराग पासवान टिक पायें. हालांकि चिराग का दावा है कि पार्टी की पूरी कार्यकारिणी उनके साथ है.
अगर चुनाव आयोग में भी चिराग अपनी पार्टी पर कब्जा नहीं रख पाये तो पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह बंगाल दोनों उनके हाथ से निकल सकता है.