‘तेजस्वी प्रण’  के ऐलान किये जाने के बाद मेरे जहन में सवाल आया कि चुनावी वादों के प्रभाव का कोई वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है ?

‘तेजस्वी प्रण’  के ऐलान किये जाने के बाद मेरे जहन में सवाल आया कि चुनावी वादों के प्रभाव का कोई वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है ?

‘तेजस्वी प्रण’  के ऐलान किये जाने के बाद मेरे जहन में सवाल आया कि चुनावी वादों के प्रभाव का कोई वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है ?

By Irshadul Haque

मैंने पाया कि लेखक एस गुनाशेखरन व आर विल्लाईचामी ने एक रिसर्च किया था. ‘Role of Manifesto in Assembly Election with Refernce to Tamil Nadu’. इस रिसर्च का नतीजा एक वाक्य में ये है-  डॉरेक्ट बेनिफिट प्रॉमिस का ग्रामीण व निम्न आय वर्ग पर व्यापक असर होता है.

2011 और 2016 के लगातार दो चुनाव में एआईएडीएमके ने जीत हासिल की. उसने मतदाताओं को एक रुपये किलो चावल, बिजली बिल में छूट, मुफ्त लैपटॉप आदि देने का वादा किया था.

 

तेजस्वी प्रण

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डॉयरेक्ट बेनिफिट स्कीम के वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर कहा जा सकता है कि तेजस्वी प्रण बिहार चुनाव की बाजी पर जादुई असर डाल सकता है. खास तौर पर हर परिवार को नौकरी, जीविका दीदियों को 30 हजार की सैलरी, हर महिला को 2500 रुपये, पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय दोगुणा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन 1500 रुपये करने जैसे वादे कहीं बिहार चुनाव को एकतरफा न बना दे.

 

यही कारण है कि #तेजस्वीप्रण ने एनडीए के नेताओं का बुखार छुड़ा दिया है. क्योंकि महागठबंधन के इन घोषणाओं ने खेत खलिहानों तक धूम मचा रखा है.

Nदर असल भाजपा और नीतीश की सरकार चाह कर भी तेजस्वी प्रण का तोड़ पेश करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. क्योंकि आपने देखा कि जिन योजनाओं की घोषणा तेजस्वी यादव ने की, उसका नकल नीतीश सरकार ने शुरू कर दिया. चाहे बिजली बिल हो, सामाजिक सुरक्षा पेंशन हो, महिलाओं को दस हजार रुपये देने की बात हो. तेजस्वी के इस नकल को तेजस्वी ने विजनलेस लीडर और नकलची सरकार कह कर हवा निकाल दी है.

 

दूसरी तरफ 20 वर्षों से सत्ता में बने रहने पर कभी नीतीश कुमार ने इस तरह की योजनाओं का कभी ऐलान नहीं किया. यहां तक दस लाख नौकरी देने की बात भी तेजस्वी यादव का वादा था, जिसे नीतीश ने जमीन पर उतारने की कोशिश की.

 

वैसे अब देखना है कि एनडीए जो घोषणा पत्र जारी करेगा, उसमें क्या है और वह कितना व्यावहारिक व लोगों पर प्रभाव डालने वाला है.

 

By Editor