महामारी में सीएम सब्जी बिकवा रहे, राजद ने कहा, क्या मजाक है!
श्मशान घाटों पर शवों की कतार लगी है और राज्य के मुख्यमंत्री ऑनलाइन सब्जी बिकवाने में लगे हैं। राजद ने कहा, मुख्यमंत्री जी, यह मजाक का समय नहीं है।
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आज सुबह दस बजे नौकरशाही डॉट कॉम जब जेपी सेतु, दीघा घाट पहुंचा, तो 12 शव लाइन में रखे थे। मालूम हुआ, श्मसान घाट पर लकड़ी खत्म हो गई है। शिवपुरी के अरुण तिवारी अपनी माता का शव रखकर दीघा बाजार में लकड़ी खरीदने गए हैं।
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रिसर्चर मौत का डेटा मांग रहे हैं, ताकि इतनी मौतों का कारण समझा जा सके। दीघा घाट के पुजारी भी चकित हैं कि आखिर इतने लोग क्यों मर रहे हैं। महीना भर पहले यहां दिनभर में एक -दो शव जलते थे। अब लाइन खत्म नहीं होती।
उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऑनलाइन सब्जी बिकवाने का उद्घाटन कर रहे हैं। राजद ने मुख्यमंत्री के उस आदेश पर करारा व्यंग्य किया है, जिसमें मुख्यमंत्री ने राज्य के अफसरों को सभी जिलों में तुरत ऑनलाइन सब्जी बिक्री का प्रबंध करने को कहा, जिससे लोग ताजी सब्जी पा सकेंगे।
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राजद ने कहा, मुख्यमंत्री जी, यह मज़ाक का समय नहीं है! इस समय कुछ करें तो पूरी ईमानदारी और मुस्तैदी से करें और फूलप्रूफ़ करें! सिर्फ़ चेहरा चमकाने के लिए घोषणा ना करें! लोग जान पर खेल बाहर जाने को मजबूर हैं! ऊपर से आपकी बदतरीन स्वास्थ्य व्यवस्था! और फिर इस तरह का मुंह चमकाने वाला खिलवाड़!
राजद ने सवाल उठाया है कि क्या कोई सत्ता अभी महामारी के अलावा कोई दूसरे चीज पर समय और संसाधन खर्च कर सकती है? मुख्यमंत्री सब्जी बेचने का उद्घाटन किसी और अधिकारी से करा सकते थे। राज्य के अफसरों को बी आदेश दिया गया है। जब अफसर खुद ही कोरोना से जूझ रहे हैं, मर रहे हैं, तब उनसे सब्जी बेचने को कहना कितना उचित है? सरकार कहती है कि वह कोरोना से युद्ध स्तर पर लड़ रही है। युद्ध स्तर पर लड़ने का क्या मतलब होता है?