महंगाई का असर : दो साल में डेढ़ गुना बढ़ा सदका-ए-फित्र
महंगाई से कोई नहीं बचा। यहां तक कि ईद के मौके पर दिए जानेवाला सदका-ए-फित्र दो साल में डेढ़ गुना बढ़ा। 2021 में न्यूनतम 41 रु से बढ़कर 60 रुपया हुआ।
महंगाई का चौतरफा असर पड़ा है। यहां तक कि ईद के मौके पर कमजोर वर्ग-गरीब को दान स्वरूप दिए जानेवाले सदका-ए-फित्र पर भी असर पड़ा है। दो साल पहले प्रति व्यक्ति 41 रुपए सदका-ए-फित्र था, जो इस वर्ष बढ़कर 80 रुपए हो गया है। इमारत-ए-शरिया के दारूल कजा ने इस वर्ष न्यूनतम 60 रुपए सदका-ए-फित्र तय किया है। इसका एलान हजरत मौलाना अंजार अहमद कासमी, काजी शरियत ने किया है।
मालूम हो कि सदका-ए-फित्र की रकम अनाज की कीमत के हिसाब से तय होती है। प्रति व्यक्ति एक किलो 692 ग्राम अनाज देना होता है। 60 रुपए गेहूं की कीमत के हिसाब से है। मतलब इस बार 1.692 किलो गेहूं की कीमत 60 रुपए है, जो दो साल पहले 2021 में केवल 41 रुपए थी। यही गेहूं के हिसाब से दो साल पहले 41 रुपए था। 2015 में गेहूं सस्ता था, तो उस समय न्यूनतम सदका-ए-फित्र केवल 37 रुपए था। इसका अर्थ हुआ कि आठ साल पहले दस लोगों के परिवार को 370 रुपए देना पड़ा था, उसी परिवार को इस वर्ष 600 रुपए देने होंगे।
इमारत-ए-शरिया के नए एलान के मुताबिक सदका-ए-फित्र में अगर कोई जौ देना चाहे, तो उसे प्रति व्यक्ति 154 रुपए, खजूर देना चाहे, तो प्रति व्यक्ति 1185 रुपए, किशमिश देना चाहे, तो प्रति व्यक्ति 1150 रुपए के हिसाब से परिवार का सदका-ए-फित्र देना होगा।
सदका-ए-फित्र एक तरह का दान है, जिसे ईद से पहले सक्षम व्यक्ति गरीबों को देते हैं। इसका उद्देश्य है कि किसी गरीब को किसी के आगे हाथ न पसारना पड़े और गरीब भी खुशी-खुशी ईद मना सके।
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