मन की बात पर भारी पड़ा तेजस्वी का मुद्दा
पिछले साल चुनाव में जब तेजस्वी ने रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया, तब सत्ता पक्ष ने मजाक उड़ाया था, आज वही मुद्दा प्रधानमंत्री के मन की बात पर भारी पड़ा।
कुमार अनिल
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मन की बात कर रहे थे, तब शोशल मीडिया पर बेरोजगार युवा रोजगार के लिए अभियान चला रहे थे।
पांच महीना पहले जब बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने रोजगार को अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया, तब सत्ता पक्ष ने मजाक उड़ाया था। हालांकि ज्यादा दिनों तक वे भी रोजगार की मांग की उपेक्षा नहीं कर सके और बाद में उन्होंने भी 19 लाख रोजगार देने का वादा किया।
पिछले कई दिनों से देश के युवा रोजगार के सवाल को उठा रहे हैं। आज तो युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात के समानांतर जॉब की बात को ट्रेंड कराने लगे। शाम चार बजे तक लगभग आठ लाख ट्विट हो चुके थे। अलग-अलग हैशटैग पर लगभग 14 लाख युवा रोजगार की मांग उठा चुके थे।
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तेजस्वी यादव ने आज ट्विट किया-करो युवाओं के मन की बात, बेरोजगारों के जॉब की बात, किसानों के हित की बात। जनतंत्र में जन, जन की जरूरतों की बात नहीं हो रही। बात हो रही है तो बस ध्यान भटकाने के लिए सत्ताधीशों के मन की बात।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा- बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की पहल पर बेरोजगारों और किसानों के सवाल विमर्श का प्रमुख मुद्दा बन चुके हैं। उन्होंने कहा, अभी मन की बात नहीं, हतोत्साहित हो रहे बेरोजगार नौजवानों और आंदोलनकारी किसानों के मन की बात होनी चाहिए।
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कई राज्यों में चुनाव हुए, कई राज्यों में होनेवाले हैं, लेकिन रोजगार का सवाल बिहार चुनाव में ही सबसे ज्यादा मजबूती से उठा। अब यह बिहार के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी मुद्दा बनने लगा है। तेजस्वी यादव ने गुवाहाटी में असम चुनाव में हिस्सा लेने की घोषणा की है। वहां भी अपनी पहली प्रेस वार्ता में उन्होंने रोजगार का सवाल उठाया।