फेक वीडियो क्रियेटर मनीष का न NSA हटा, न राहत मिली
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के फेक वीडियो क्रियेटर मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ा और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) हटाने से इनकार कर दिया है.
लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया है।
साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि मनीष ने तमिलनाडु जैसे शांत राज्य में फेंक वीडियो बना कर अशांति फैलाने की कोशिश की।याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की बेंच ने की.
बेंच ने कहा, “तमिलनाडु एक स्थिर राज्य है. आप अशांति फैलाने के लिए कुछ भी प्रसारित कर रहे हैं.हम इस पर विचार नहीं कर सकते.”
मनीष कश्यप पर बिहार के मज़दूरों की पिटाई का फर्ज़ी वीडियो शेयर करने का आरोप है. इस मामले में तमिलनाडु पुलिस ने एनएसए लगाया है.
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले तमिलनाडु में तीन बिहारी व झारखंड के मरीजों की मौत हुई थी. इसमें से एक मामले में बिहारी मजदूर ने आत्महत्या की थी. अन्य मामले में दो गैरतमिल मजदूरों की आपसी रंजिश थी जिसमें एक ने दूसरे की हत्या कर दी. हत्या करने वाला झारखंड का था जबकि जिसकी हत्या हुई वह बिहार के जमुई का था. इस मामले के बाद मनीष कश्यप ने अपने यूट्यूब चैनल पर झूठी और फेवरीकेटेड विडिया बनाया. मनीष ने बिहार पुलिस के सामने स्वीकार किया था कि उसने अपने एक सहयोगी को आइडिया दिया था कि वह पटना में बैठ कर फेक विडियो बनाये. इस विडियो में देखा जा सकता है कि एक कमरे में दो युवक बैठे हैं जिनके हाथ व सरों पर पट्टी बंधी है. जो अपनी बात कहते हुए बता रहे हैं कि उन्हें तमिलनाडु में हिंसा का शिकार बनया.
इस मामले में बिहार पुलिस ने उस पर केस किया. इसके अलावा मनीष के ऊपर पहले से ही कश्मीरी व्यापारी को पिटने का आरोप है. वह पहले भी जेल जा चुका है. एक अन्य मामले में उस पर एक बैंक अफिसर ने आर्थिक दोहन का केस किया था.
मनीष कश्यप तमिलनाडु जा कर वहां भी अनेक विडियो पोस्ट किया जिसके कारण दोनों राज्यों के बीच गलतफहमी फैली.
याद रहे कि मनीष कश्यप ने बिहार और तमिलनाडु में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की थी. अदालत ने उसकी इस मांग को भी खारिज कर दिया है.