मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते अधिकारी पूर्व आईएएस मनीष वर्मा आजकल कहां हैं और क्या कर रहे हैं, पब्लिक को पता ही नहीं चल रहा है। पिछले महीने जब मनीष वर्मा ने जदयू ज्वाइन की, तब वे मीडिया में छा गए थे। कहा गया कि वे मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी होंगे। लगा कि पार्टी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। उन्हें संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष तक बनाए जाने के कयास लगाए गए, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है, लेकिन उन्हें महासचिव बनाया गया। फिल भी माना गया कि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए कोई विशेष अभियान चलाएंगे और उनका कद बढ़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब स्थिति यह है कि आम लोग पूछ रहे हैं कि मनीष वर्मा कहां गायब हो गए।
नौकरशाही डॉट कॉम को जदयू के सूत्रों ने बताया कि मनीष वर्मा पार्टी मुख्यालय प्रायः आते हैं। उनसे मिलने भी कुछ कार्यकर्ता जाते हैं। हालांकि उसी पार्टी मुख्यालय में होने वाले कार्यक्रमों में वे प्रायः नहीं दिखते हैं। आज सोमवार को कई महत्वपूर्ण नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पार्टी ज्वाइन की, लेकिन इस कार्यक्रम में भी मनीष वर्मा का जिक्र नहीं है। जदयू दफ्तर से जारी बयान में मनीष वर्मा का नाम तक नहीं है।
इधर सूत्र बताते हैं कि पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी, अशोक चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ही सभी कार्यक्रों में आगे दिखते हैं। पार्टी के भीतर भी मनीष वर्मा को कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी गई है। आज की स्थिति तो यही है कि वे मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी के तौर पर नहीं हैं।
————
दुविधा में नीतीश, चिराग के तेवर से झारखंड BJP परेशान
हालांकि कई लोगों का मानना है कि मनीष वर्मा को पार्टी नालंदा से किसी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बना सकती है। उसके बाद ही देखना होगा कि उन्हें विशेष तवज्जो मिलती है या वे साधारण नेता बन कर ही रह जाते हैं। याद रहे मनीष वर्मा वरिष्ठ आईएएस रहे हैं और उन्होंने पार्टी में काम करने के लिए ही आईएएस की नौकरी समय से पहले छोड़ दी। वीआरएस ले लिया। इससे पहले एक पूर्व आईएएस आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार ने काफी आगे बढ़ाया, लेकिन बाद में उनसे संबंध खराब हो गया और आरसीपी ने भाजपा ज्वाइन कर ली। देखना होगा कि मनीष वर्मा का भविष्य क्या होता है।