सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण पर दिए फैसले को लेकर एनडीए में सिरफुटौव्वल शुरू हो गई है। हम (से) के संरक्षक तथा केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने लोजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि दलितों के आरक्षण का लाभ अब तक केवल चार जातियों ने उठाया है। उन्होंने पूरे आरक्षण पर कब्जा कर लिया है। दलितों में कैटगरी बननी चाहिए साथ ही क्रिमिलेयर का प्रावधान भी जरूरी है। इससे पीछे छूट गए लोगों को लाभ मिलेगा। मालूम हो कि दो दिन पहले चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि वे कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा था कि आज भी दलितों के साछ छुआछूत होता है। इसीलिए कैटगरी बनाना ठीक नहीं।
इस बीच जदयू नेता कह चुके हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। नीतीश कुमार ने बहुत पहले ही दलित तथा महादलित दो श्रेणी बना दी थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला नीतीश कुमार की नीतियों पर मुहर है।
हम (से) के संरक्षक मांझी ने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण का लाभ बिहार में केवल चार जातियों ने उठाया है। उनका इशारा पासवान, रविदास की ओर था। जबकि मुसहर, नट, डोम को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं मिला।
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एससी-एससी आरक्षण : चिराग से अलग राह चले मांझी
भाजपा ने अब तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ है। श्रेणियों में बांटना भाजपा की राजनीति के लिए अच्छा है। इससे दलितों में नए संगठन तथा नए नेता उभरेंगे, जिससे पुराने दलित नेताओं का एकाधिकार टूटेगा। इस प्रकार एनडीए के भीतर चिराग पासवान एक बार फिर से अकेले पड़ गए हैं। कई संगठन कोर्ट के पक्ष में तथा कई विरोध में आंदोलन करने की बात कर रहे हैं। इस प्रकार दलित राजनीति भी बंट गई है।