केंद्रीय मंत्री जीतनराम राम मांझी अपने ‘ओवैसी गैंग के कठमुल्ला’ वाले बयान पर अड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि वे ऐसे गैंग को कठमुल्ला कहते रहेंगे, जिसे जो समझना है, समझता रहे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कठमुल्ला वाले बयान पर पहले ही विवाद हो चुका है और अब उसी तेवर में बिहार के जीतनराम मांझी ओवैसी गैंग और कठमुल्ला कह रहे हैं। सवाल यह है कि इस उग्रता के पीछे रणनीति क्या है।

केंद्रीय मंत्री मांझी ने गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि मैंने ओवैसी गैंग को “कठमुल्ला” कहा तो कुछ लोग मुझे ट्रोल करने लगें।वैसे लोगों को मैं स्पष्ट कर दूँ कि जीतन मांझी उनके रहमो करम पर सांसद या मंत्री नहीं बना बल्कि गया जी के जनता मालिक के दम पर बना है और गया जी के जनता मालिक को पता है कि उनका सांसद हर दिन गया के विकास के लिए काम कर रहा है।

वैसे मैं कठमुल्ले गैंग को बता देना चाहता हूँ कि जीतन मांझी का रोम-रोम सेक्यूलर है,मुझे किसी के सर्टिफ़िकेट की ज़रूरत नहीं।

मुस्लिम भाई,बहनों,अभिभावकों की मैं हमेशा इज़्ज़त करता हूँ पर जो लोग इस्लाम के नाम पर क़ौम को बदनाम करेंगे उन्हें मैं कठमुल्ला ही बोलूँगा।

“इस्लाम और मुसलमान ज़िन्दाबाद था,ज़िन्दाबाद है और ज़िन्दाबाद ही रहेगा”

मांझी के इस बयान से स्पष्ट है कि वे मुसलमानों में ओवैसी गैंग और कठमुल्ला के नाम पर विभाजन पैदा करना चाहते हैं। वे इस्लाम जिंदाबाद भी कह रहे हैं और समाज के एक हिस्से को कठमुल्ला भी कह रहे हैं। मांझी के इस बयान को भाजपा के सौगात-ए-मोदी से जोड़ कर देखने से स्पष्ट हो जाता है कि मांझी भी मुसलमानों में विभाजन पैदा करना चाहते हैं।

याद रहे वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मुसलमान एनडीए से खासे नाराज हैं। इस नाराजगी से उनमें एकता बढ़ी है, जो एनडीए के लिए चिंता का विषय है। अगर मुस्लिम वोट नहीं बंटे, तो एनडीए के लिए परेशानी हो सकती है।

By Editor