मांझी ने कभी चुनाव न जीतनेवाले नकारा बेटे को सौंपा ताज
जीतन राम मांझी थोड़े समय के लिए मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने प्रशासन पर नियंत्रण किया था और बड़े-बड़े निर्णय लिये थे। उनके बेटे में ये गुण नहीं दिखते।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) का अध्यक्ष पद अपने बेटे संतोष कुमार सुमन को सौंप दिया है। वे खुद संरक्षक की भूमिका में रहेंगे। संतोष कुमार राज्य सरकार में कल्याण मंत्री हैं। उन्होंने अब तक कोई चुनाव नहीं जीता है। 2015 में वे औरंगाबाद के कुटुंबा से चुनाव लड़े, पर कांग्रेस के राजेश कुमार से हार गए। बाद में वे राजद के समर्थन से एमएलसी बने। फिर राजद का साथ छोड़कर एनडीए में आ गए और 2020 में नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री बने।
जीतन राम मांझी 1980 में क्लर्क की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और तब से लगातार चुनाव जीतते रहे। 2014 में मुख्यमंत्री बने। कुछ ही समय में उन्होंने राज्य प्रशासन पर अपनी पकड़ बना ली। उन्होंने कई बड़े फैसले लिये, जिससे उनकी लोकप्रियता शिखर पर पहुंची। एक समय उनके नेतृत्व में सारे दलित एकजुट होते दिख रहे थे। उन्होंने ठेके में दलितों को आरक्षण, लड़कियों के लिए स्नातक तक मुफ्त शिक्षा, अरबी-फारसी विवि के लिए जमीन मुहैया कराई। कई बड़े फैसले लिये।
उनके बेटे संतोष कुमार सुमन में ये गुण गायब हैं। वे राज्य के कल्याण मंत्री है, लेकिन राज्य के दलितों के लिए उन्होंने एक भी ऐसा फैसला नहीं लिया, जिससे उनका राजनीतिक कद ऊंचा हो। संतोष कुमार के बारे में एक कार्यकर्ता ने कहा कि वे उनसे मिलने जाने वाले कार्यकर्ताओं का हाल तक नहीं पूछते। इसी के साथ राजनीतिक हलकों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या संतोष अपने पिता की विरासत को संभाल पाएंगे?
जीतन राम मांझी ने पटना में आज गरीब चेतना सम्मेलन में बेटे को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की घोषणा की। सम्मेलन श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में हुआ।
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