बिहार के तीन दलित नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन और सभा में शामिल होने के लिए विशेष विमान से बनारस गए, लेकिन वहां कोई पूछनेवाला नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस विशेष चार्टर्ड विमान से सोमवार को ही बनारस पहुंच गए। मंगलवार को चिराग पासवान भी बनारस पहुंचे। मांझी ने चार्टर्ड विमान में बैठकर बनारस जाते अपनी तस्वीर भी सोशल मीडिया में शेयर की, लेकिन वहां पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के इर्द-गिर्द कहीं नजर नहीं आए। प्रधानमंत्री ने एनडीए नेताओं से मुलाकात की। बस इसी दौरान बिहार के तीनों नेताओं की मुलाकात हुई। इसके अलावा इनकी कोई भूमिका नहीं दिखी।
प्रधानमंत्री मोदी बनारस में आज रथ से रोड शो भी करते दिखे। उस रथ में उनके साथ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ खड़े दिखे। हालांकि उनके खड़े होने की व्यवस्था नीती थी और प्रधानमंत्री ऊंचे स्थान पर खड़े थे। दोनों बराबरी में खड़े नहीं दिखे। पटना के रोड शो में भी रथ इस प्रकार डिजाइन की गई थी कि प्रधानमंत्री मोदी ऊंचे दिखें और नीतीश कुमार नीचे दिखें।
मांझी, पारस और चिराग ने बड़े गर्व के साथ घोषणा की थी कि वे प्रधानमंत्री मोदी की नामांकन सभा में शामिल होने जा रहे हैं, लेकिन इनका कहीं नजर नहीं आना बिहार में चर्चा का विषय बना है। सोशल मीडिया में कई लोगों ने तीनों नेताओं को निशाने पर लिया है कि इतिहास याद करेगा कि जब भारत के दलित संविधान बचाने के लिए भाजपा के खिलाफ मुखर थे, तब ये नेता भाजपा काही साथ दे रहे थे।
बिहार में स्थिति यह है कि तीनों नेताओं का अपना आधार ही बिखर रहा है, लेकिन ये भाजपा से गठबंधन धर्म निभाने में मशगूल हैं। अब तक हुए चुनाव में चिराग पासवान के पासवान आधार में भी संविधान मुद्दा बना दिखा है। कई जगह पासवानों ने भी आंबेडकर के संविधान की रक्षा में भाजपा के खिलाफ वोट दिया है। मांझी का समर्थक आधार भी इंडिया गठबंधन के साथ दिखा है। मांझी खुद भी गया में बुरी तरह फंसे हुए हैं।