लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। कांग्रेस को इंडिया अलायन्स से बिहार में इस बार 9 सीटे मिली है। कांग्रेस इस बार सभी सीटों पर जीत को लेकर जद्दोजहद में लगी है। पश्चिम चम्पारण में वोटों का खाका कांग्रेस पार्टी के जीत के लिए अनुकूल है। पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में चुनाव हेतु इस बार प्रमुख्यता से मंजुलाला पाठक शाश्वत केदार , मदन मोहन तिवारी और व्रजेश पांडेय नाम हैं जो कांग्रेस की तरफ से सबसे ज्यादा चर्चा में मंजूबाला पाठक और साश्वत केदार का नाम है।
हालांकि कांग्रेस 9 सीटों में से किसी महिला शक्ति को आगे करने की उपयुक्त विचार करेगी क्योंकि आधी आबादी को भी सम्मान देना राजनीतिक लाभ का भी प्रतीक होगा। मंजुबाला पाठक मातृ शक्ति की प्रतीक है जो “नारी वंदन और नारी अभिनंदन”के नारा के तहत पश्चिम चंपारण में महिलाओं के विकास, रोजगार और उनका स्वावलंबन अपने बाबु धाम ट्रस्ट के बैनर तले कॉन्ग्रेस के झंडे के नीचे करते रही है। युवा लड़कियों और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय नेता श्रीमति पाठक ने चंपारण के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, रोजगार, नाले और नहरों का जीर्णोद्धार करवाया। सालों से बंद नहरों को चालू करवाया,और किसानों के आय बढ़ाने हेतु लगातार काम किया। महिला सशक्तिकरण के लिए श्री मति पाठक ने बहुत काम किया। कोरोना काल में चंपारण में मंजुबाला पाठक ने सभी गरीबों को राशन,मास्क और पका पकाया खाना दिया। कांग्रेस नेत्री ने हजारों किसानों को निःशुल्क बीज दिलवाने का काम किया जिससे उनकी खेतों की पैदावार अच्छी हुई।
पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट पर लगभग 18लाख वोटर्स की संख्या है। जिसमे मुस्लिम मतदाता लगभग 4 लाख है वहीं ब्राह्मण मतदाताओ की संख्या लगभग 1.50 लाख है।यादव मतदाताओं की संख्या भी 1.5 लाख है।इसके अलावा इंडिया अलायन्स को सपोर्ट करने वाली जातियों की संख्या भी लगभग 2 लाख है।कुल मिलाकर एनडीए और इंडिया अलायन्स की लड़ाई बहुत तगड़ी है।
कांग्रेस इस बार कैंडिडेट्स का चुनाव बहुत सोच समझ कर कर रही है।अब पश्चिमी चंपारण में ऐसा कैंडिडेट चाहिए जो अपने प्रभाव से कुछ वोटर्स को मोबलाइज कर सके।मंजुबाला पाठक यहाँ की लोकल उम्मीदवार हैं और अपने ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने गरीब तबके की लोगो की बहुत सेवा की है।इसके अलावा उनको महिला होने का लाभ भी मिलेगा।युथ गर्ल्स में भी इनका खासा क्रेज है।जो पहली बार वोटर भी बनेंगी।ब्राह्मण मतदाताओ में भी इनकी स्वीकार्यता अन्य कैंडिडेट्स से अच्छी है।
बात अगर शास्वत केदार की करे तो उनके पास पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पोते होने के अलावा कोई दूसरी उपलब्धि नज़र नही आती। संजय जायसवाल लगातार 3 बार से सांसद है और इस बार एन्टी इनकंबेंसी से भी लड़ना पड़ेगा। मंजुबाला पाठक चूंकि मातृ शक्ति है और तिरहुत प्रमंडल में किसी भी बड़ी पार्टियों ने अभी तक किसी महिला को टिकिट नही दिया। ऐसे में कांग्रेस को अपने पार्टी के” नारी है तो लोकतंंत है ,नारी सम्मान “नारी की भागीदारी पुरुष की जिम्मेदारी”आदि को चरितार्थ करने की जरूरत है। तभी युवा दिलों के धड़कन राहुल जी और प्रियंका जी कि नारी उत्थान की विजन सफल होगा।
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कांग्रेस अपना कैंडिडेट किसे बनाएगी ये तो आने वाला वक़्त तय करेगा पर महिलाओं को अपने तरफ आकर्षित करने और नए वोटर को अपने तरफ आकर्षित कर ये किला फतह करना है तो कांग्रेस को अपना प्रत्यासी सोच समझ कर उतरना पड़ेगा। क्योंकि कांग्रेस संघर्षों की पार्टी है और इसमें महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलनी है। अतः अन्य हमारे दूरदर्शी केंद्रीय नेतृत्व को सोचना पड़ेगा।