दिल्ली पुलिस के जिस सब-इंस्पेक्टर ने नमाजियों पर लात मारी थी, उसे सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बावजूद देश भर में गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। दरअसल मांग यह हो रही है कि सस्पेंड करना कोई सजा नहीं है। कुछ दिनों बाद ही उसका निलंबन समाप्त हो जाएगा और फिर से वह नफरत फैलाएगा, इसी तरह की करतूत करेगा। उसे सजा मिलनी चाहिए। उसके खिलाफ धार्मिक नफरत फैलाने तथा हमला करने की सुसंगत धाराओं के तहत केस दर्ज होना चाहिए। उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। सोशल मीडिया में लगातार #सस्पेंड_नहीं_गिरफ्तार_करो ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग के साथ देशभर से लोग उस पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।
मालूम हो कि कल शुक्रवार को नमाज के वक्त मस्जिद के बाहर कुछ लोग सड़क पर बैठकर नमाज पढ़ रहे थे। तभी दिल्ली पुलिस का सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर ने नमाजियों को लात से मार-मार कर उठाना शुरू किया। इसका वीडियो कुछ ही देर में देश में वायरल हो गया। कल ही देर शाम उसे सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि उसे निलंबित करने से लोग संतुष्ट नहीं हैं और उसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
मोदी के गढ़ गुजरात में राहुल के लिए दूसरे दिन भी उमड़ी भीड़
इस घटना को देश में पिछले दस वर्षों से फैलाई जा रही नफरत का परिणाम बताया जा रहा है। आश्चर्य तो यह है कि खुद दिल्ली पुलिस गलती मान रही है, तभी तो अपने अधिकारी को सस्पेंड किया, वहीं सोशल मीडिया में एक तबका उस नफरती पुलिस अधिकारी के पक्ष में खुल कर बोल रहा है। हालांकि इससे सवाल खत्म नहीं होते। लोग पूछ रहे हैं कि अगर सड़क पर नमाज पढ़ना गलत है, तो सड़क पर रामनवमी का जुलूस क्यों निकलता है, कांवर यात्रा में कई-कई किलोमीटर तक सड़क बंद क्यों कर दी जाती है और सबसे बड़ी बात कि उन पर यही पुलिस वाले फूल बरसाते हैं। स्पष्ट है कि मामला सड़क पर नमाज पढ़ने का नहीं है, मामला धार्मिक नफरत का है। अगर सड़क पर नमाज पढ़ने से आपत्ति थी, तो नमाज पढ़ने के बाद सभी को थाने पर बुला कर मुकदमा कर सकते थे, लेकिन नमाज के लिए झुके व्यक्ति को पीछे से लात मारना किस तरह उचित है। जाहिर है, देशभर से उस पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार करने की मांग हो रही है। देखना है उसे सुसंगत धाराओं में गिरफ्तार किया जाता है या नहीं।