मौलाना आजाद: एक निष्ठावान राष्ट्रवादी व आधुनिक भारत में शिक्षण संस्थाओं के निर्माणकर्ता
मौालना आजाद उच्च कोटि के बौद्धिक व उत्कृष्ट राष्ट्रवादी थे. वह भारत विभाजन के खिलाफ मुखर आवाज के प्रतीक थे. भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने संस्थाओं के निर्माण में महत्पूर्ण भूमिका निभाई. उनका जन्म मक्का में1888 में हुआ.
इराक, सीरिया तुर्की आदि देशों के भ्रमण के दौरान दुनिया भर के क्रांतिकारियों और आजाद के लिए संघर्ष करने वालों के सम्पर्क के में उन्होंने खुद को एक सहिष्णु मुस्लिम की छवि अर्जित की थी.
उन्होंने उर्दू में अलहिलाल नामक पत्रिका का प्रकाशन किया. इसके माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ आम लोगों में जागरूकता का प्रसार किया.
1916-17 में उन्हें ने ब्रिटिश सरकार ने आजादी की भावना जागृत करने के आरोप में रांची की जेल में डाल दिया गया. खिलाफ आंदोन व असहयोग आंदोलनों के दौरान मौलाना आजाद महात्मा गांधी व कांग्रेस के साथ मिल कर बड़ी भूमिका निभाई. हिजरत के नाम से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ फतवा का प्रकाशन किया.
वह 1923 और 1940 में दो बार कांग्रेस से अध्य की भूमिका निभाई. इस दौरान उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देते हुए देश भर के लोगों में अंग्रेजों से आजादी का अलख जगाया. इस दौरान उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के धर्म के आधार पर देश के विभाजन के प्रयासों के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाया. सारी कोशिशों के बावजूद जब देश का विभाजन टाला नहीं जा सका तो उन्हें दुखी मन से विभाजन स्वीकार करना पड़ा.
आजादी के बाद वह मौलाना आजाद देश के प्रथम शिक्षा मंत्री बने. शिक्षा मंत्री की हैसियत से उन्होंने अनेक मजबूत संस्थाओं का निर्माण किया. इनमें यूजीजी का निर्णा, विश्व भारती व जामिया मीलिया को स्वायित्त संस्थाओं के रूप में मान्यता दिलाई. इतना ही नहीं, यह मौलाना आजाद ही थे जिन्होंने तकनीकी शिक्षा की मजूबत नीव रखी.
मौलाना आजद एक प्रखर राष्ट्रवादी व हिंदू-मुस्लिम एकता के मजबूत अलमबरदार थे. उनकी मृत्यु 22 फरवरी 1958 को हुई.
मौलाना आजाद के द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे के काम को देश के हर नागरिक को आगे बढ़ाने की जरूरत है.