मेयर कौन : बदलाव को तैयार पटना, फिर भी कायम है दुविधा
पटना देश के सबसे अधिक गंदे, प्रदूषित और सुविधाहीन 10 शहरों में शामिल है। इसीलिए लोग परिवर्तन चाहते हैं, पर दुविधा भी कायम है। कौन बनेंगी मेयर?
पटना में मेयर कौन बनेगा यह कहना किसी के लिए मुश्किल है। अलग-अलग मुहल्ले में अलग-अलग प्रत्याशी की चर्चा है। लोग बदलाव चाहते हैं, लेकिन की एक भी नाम ऐसा नहीं, जिसके पक्ष में हर मुहल्ले में चर्चा हो। पटना एक ऐसा नर्क है, जहां गली में पीने को साफ पानी भले न मिले, हर मुहल्ले में नर्सिंग होम जरूर मिल जाएंगे, जो बताता है कि नर्क के कारण पटना तेजी से बीमार हो रहा है।
10 लाख से अधिक आबादी वाले देश के 45 शहरों में पटना का स्वच्छता रैंक 38 वां है। नीचे से आठवें नंबर पर। इसका मतलब है पटना साफ-सफाई के मामले में देश के दस सबसे ज्यादा गंदे और प्रदूषित शहरों में एक है। मच्छर के कारण डेंगू परेशान करता है, तो पानी की गंदगी पेट की बीमारी लाती है। प्रदूषित हवा से हार्ट पेशेंट बढ़ रहे हैं। इसीलिए पटना में गली में साफ पानी भले न मिले, नर्सिंग होम जरूर मिल जाएंगे। साफ है गंदगी, प्रदूषण और सुविधाहीनता के कारण पटना तेजी से बीमार हो रहा है।
पटना में चार विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्र है। सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। निवर्तमान मेयर सीता साहू भी भाजपा के करीब रही हैं। भाजपा का उन्हें समर्थन रहा है। इस बार भाजपा ने किसी प्रत्याशी को अपना समर्थन नहीं दिया है। भाजपा का समर्थन किसी प्रत्याशी के लिए उल्टा बी पड़ सकता था। सभी विधायक-सांसद भाजपा के हैं, मेयर भी उसी का रहा, फिर भी पटना नर्क बना हुआ है। इसलिए भाजपा से मतदाताओं में नाराजगी भी है। यह पक्ष में सीता साहू के खिलाफ जा रहा है। सीता साहू ने पटना में ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसे पटना महसूस करे। उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे। काम करने से ज्यादा उनकी चर्चा सेटिंग, तोड़-जोड़ के लिए रही है। हालांकि किसी दल ने खुलकर किसी प्रत्याशी को समर्थन नहीं दिया है, फिर भी सीता साहू के समर्थक दावा कर रहे हैं कि भाजपा ने उन्हें समर्थन दिया है।
पटना में मेयर पद के लिए 33 प्रत्याशी हैं और उप मेयर के लिए 16 प्रत्याशी हैं। जदयू नेता कमल नोपानी की पत्नी सरिता नोपानी, जदयू नेता बिट्टू सिंह की पत्नी विनीता सिंह, राजद नेता और पूर्व मेयर अफजल इमाम की पत्नी महजबीं, राजद नेत्री मधु मंजरी मैदान में हैं।
चुनाव में कौन मेयर बनेंगी यह पहेली बन गई है। सबका खास-खास इलाके में आधार है। अब देखना है कि पटना के मतदाता नर्क से मुक्ति के लिए किसे मेयर चुनते हैं।
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