शांति के लिए नोबेल पुरस्कार पा चुके मो. युनूस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रधान बनाए जा सकते हैं। सेना प्रमुख अंतरिम सरकार के गठन का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच खबर है कि आंदोलनकारी चाहते हैं कि अंतरिम सरकार का प्रधान मो. युनूस को बनाया जाए। इधर राष्ट्रपति ने मंगलवार को संसद भंग कर दी है।
बांग्लादेश में मो. युनूस को जहां गरीबों में गरीब का बैंकर कहा जाता है, वहीं देश छोड़कर भाग चुकीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उन्हें खून चूसनेवाला बताया था। मालूम हो कि मो. युनूस की माइक्रोक्रेडिट योजना के कारण गरीबों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। इसीलिए 2006 में उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
आंदोलनकारियों के एक प्रमुख नेता नाहिद इस्लाम ने मंगलवार को कहा कि मो. युनूस ने इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाने की हामी भर दी है। उन्होंने छात्रों से देश की रक्ष तथा देश को मजबूत करने में साथ देने की अपील की है। आंदोलन के संयोजक नाहिद ने कहा कि उन्होंने अन्य संयोजकों से बात की है। सभी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मो. युनूस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाने पर सहमत हैं।
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इधर भारत में बांग्लादेश में हुए बदलाव को एक वर्ग क्रांति कह रहा है कि यह तानाशाही की हार है और लोकतंत्रपसंद जनता की जीत है, वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया में इसे इस्लामिक क्रांति साबित करने में जुट गए हैं। याद रहे शेख हसीना ने देश में विपक्ष को पूरी तरह कुचल दिया था। दस हजार से ज्यादा विपक्षी नेताओं-कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया था। मीडिया पर पूरा नियंत्रण कर लिया था। सारी संस्थाएं भी हसीना के इशारे पर काम कर रही थीं। बेरोजगारी, नौकरी के लिए तथा आरक्षण के विरोध शुरू हुआ आंदोलन परिवर्तन का आंदोलन बन गया। वहां स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को 30 प्रतिशत आरक्षण था, जिसके खिलाफ रोष था। बाद में यह आंदोलन तानाशाही के खिलाफ आंदोलन में बदल गया है।