राहुल गांधी की एक दहाड़ से संसद हिल गई। कल पत्रकारों को पिंजरे में कैद कर दिया गया था। लेकिन राहुल ने इसे संसद में उठा दिया और 24 घंटे के भीतर पत्रकारों को पिंजरे से आजाद करना पड़ा। नई संसद में इंडिया गठबंधन को पहली जीत मिली है। इससे गठबंधन के नेताओं का जोश बढ़ा है। सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। लोकतंत्र के चौथे खंभे मीडिया का गला घोंटने की कोशिश नाकाम हो गई है।
दरअसल कल लोकसभा परिसार में मीडिया को साथ जो हुआ, वह चौंकाने वाला था। अब तक की व्यवस्था यही रही है कि संसद परिसर में संसद के दरवाजे के सामने पत्रकार खड़े होकर सांसदों से बात कर सकते थे। बाइट ले सकते थे। यह व्यवस्था दशकों से थी। कल अचानक सारे पत्रकारों को वहां से हटा कर एक शीशे के कंटेनर में रख दिया गया। वे शीशे के भीतर से ही कैमरे से फोटो ले सकते थे, लेकिन किसी सांसद से न तो बात कर सकते थे और न ही बाइट ले सकते थे। इंडिया गठबंधन के सारे प्रमुख नेताओं ने शीशे के कंटेनर में जा कर पत्रकारों से मुलाकात की। राहुल गांधी, अखिलेश यादव सहित अनेक नेताओं ने इस निर्णय का विरोध किया। राहुल गांधी ने लोकसभा में इस सवाल को उठाया। उनके सवाल उठाने का असर यह हुआ कि लोकसभा अध्यक्ष ने कल ही देर शाम पत्रकारों से मुलाकात की। इसके बाद आज पत्रकारों पर से प्रतिबंध हटा लिया गया। अब पहले की तरह पत्रकार सांसदों से बात कर सकेंगे तथा बाइट भी ले सकेंगे।
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सोशल मीडिया में भी इस बात की खूब चर्चा हो रही है। लोग कह रहे हैं कि जिस मीडिया ने इंडिया गठबंधन का मजाक उड़ाया, जिस मीडिया ने राहुल गांधी को पप्पू साबित करने में दिन रात एक किया तथा हमेशा भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाया, उस पर जब संकट आया, तो कोई भाजपा नेता मिलने तक नहीं गया। इस वक्त विपक्ष ही काम आया। हालांकि मीडिया ग्रुपों ने खुद अपने ऊपर हमले को प्राइम टाइम में चर्चा का विषय नहीं बनाया, लेकिन सोशल मीडिया से बात पूरे देश में पहुंच गई। अच्छा हुआ भाजपा को जल्दी होश आ गया और इस गलत निर्णय को वापस लिया गया।